
उत्तर प्रदेश लखनऊ और कानपुर में साल 1947 और 2017 के बीच केवल दो प्राणी उद्यान बने और अब तीसरा गोरखपुर में स्थापित किया गया है। इस उद्यान का उद्देश्य पर्यावरण पर्यटन को बढ़ावा देना और वन्यजीवों और प्रकृति की रक्षा के प्रति जागरूकता पैदा करना है। लखनऊ में सोमवार को आयोजित नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान के शताब्दी समारोह कार्यक्रम के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा ”प्रकृति को संरक्षित करने के लिए मनुष्य और जानवरों का सामंजस्यपूर्ण रूप से सहअस्तित्व होना आवश्यक है। जैसे मनुष्य का जीवन महत्वपूर्ण है, वैसे ही पशु का जीवन भी महत्वपूर्ण है।”
अपने इस कार्यक्रम से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया साइट कू पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा,”किसी मनुष्य का मूल स्वभाव वही होता है, जो जीव-जंतुओं के प्रति उसका व्यवहार होता है। यदि मनुष्य पशु-पक्षियों के प्रति हिंसक है तो वह मानवता के प्रति हिंसक होगा। यदि वह पशु-पक्षियों के प्रति संवेदना रखता है तो वह मानवता के प्रति भी संवेदनापूर्ण व्यवहार करने की क्षमता रखता है।”
एक दूसरे पोस्ट में उन्होंने कहा,”मनुष्य, प्रकृति के जीवन चक्र का छोटा सा हिस्सा है। यदि मनुष्य अपने अस्तित्व को बचाने के लिए अन्य जीव-जंतुओं के साथ खिलवाड़ करेगा तो यह एक दिन मनुष्य के लिए ही भीषण संकट का कारक बनेगा। इसलिए जीव-जंतु ही नहीं, बल्कि संपूर्ण पर्यावरण की रक्षा करना प्रत्येक नागरिक का दायित्व है।”
नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान के शताब्दी समारोह कार्यक्रम के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डाक टिकट भी जारी किया इसके साथ ही उन्होंने वन्य जीवों से संबंधित स्मारिका भी जारी की जिसे संग्रहणीय और प्रेरणादायक बताया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ चिड़ियाघर परिसर में ‘शताब्दी स्तंभ’ का अनावरण किया और एक शताब्दी वर्ष की पुस्तक और ‘चित्रों में चिड़ियाघर’ नामक एक अन्य पुस्तक का भी विमोचन किया गया। इस अवसर पर प्रदेश वन विभाग के कई आला अधिकारी भी मौजूद रहे।