रिपोर्ट – अवैस उस्मानी
लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई टल गई। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने आज सुनवाई टालने के अनुरोध किया। यूपी सरकार ने कहा कि हम किसी चीज पर काम कर रहे है, यह लगभग पूरा हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की मांग को स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई 15 नवंबर तक टाल दी।
लखीमपुर खीरी मामले में मुख्य न्यायधीश एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ सुनवाई कर रही है। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी से रिटायर जज को निगरानी के लिए सुझाव मांगा था। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि केस में दर्ज दोनों FIR में किसी तरह का घाल-मेल नहीं होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों घटनाओं ( किसानों को गाड़ी से कुचलने और भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या) के गवाहों से अलग-अलग पूछताछ होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने बिना किसी का नाम लिए कहा था कि एक आरोपी को बचाने के लिए दूसरी FIR में एक तरह से सबूत इकट्ठा किए जा रहे हैं।
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— भारत समाचार (@bstvlive) November 12, 2021
➡लखीमपुर हिंसा मामले में SC में सुनवाई टली
➡सुप्रीम कोर्ट में आज मामले की सुनवाई टली
➡यूपी सरकार की तरफ से सुनवाई टालने की मांग
➡SC में मामले की सोमवार को सुनवाई होगी।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से दाखिल स्टेटस रिपोर्ट पर असंतुष्टि ज़ाहिर की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा स्टेटस रिपोर्ट में कुछ भी नया नहीं है, जैसी हम उम्मीद कर रहे थे वैसे कुछ नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि वह मामले में राज्य के बाहर के हाई कोर्ट के जज से मामले की जांच की निगरानी करना चाहता था। सुप्रीम कोर्ट मामले की डे टू डे जांच की निगरानी के लिए पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस रणजीत सिंह , पूर्व जज जस्टिस राकेश कुमार के नाम का सुझाव दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से हाईकोर्ट के पूर्व जज से पूरे मामले निगरानी कराने के कोर्ट के सुझाव पर अपना जवाब मांगा था।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर कोई FIR होती है जांच होनी चहिए। उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा सभी मामलों की जांच की अलग अलग की जा रही है। जांच में हर पहलू पर ध्यान दिया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक ही साक्ष्य को दो जगह इस्तेमाल कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के वकील ने हरीश साल्वे कोर्ट को बताया कि मजिस्ट्रेट ने गवाहों के बयान दर्ज कर लिए हैं, साक्ष्यों कि सामग्री भी रिकॉर्ड में लिया गया है।