नई दिल्ली. 2019 में CAA NRC प्रदर्शन के दौरान यूपी में हुई हिंसा में सरकारी और निजी संपत्ति को हुए नुकसान के लिए प्रदर्शनकरियों को भेजे गए वसूली नोटिस के जरिये ज़ब्त की गई संपत्ति को वापस लेने का सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदर्शकारियों की अटैच की गई प्रॉपर्टी और पैसे को वापस करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि वह इस पूरे मामले में नए कानून के तहत कार्रवाई करें। उत्तर प्रदेश सरकार आज कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने CAA प्रदर्शनकारियों को भेजे सभी वसूली नोटिस को वापस लिया।
मामले की सुनवाई की शुरुआत में उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से वकील गरिमा प्रसाद ने बताया कि राज्य सरकार ने 14 और 15 फरवरी को आदेश जारी कर सभी 274 नोटिस को वापस लिया गया। राज्य सरकार ने नए कानून कर तहत नया नोटिस जारी करने की इजाज़त मांगी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट नोटिस के जरिये की गई वसूली को वापस करने को कहा। उत्तर प्रदेश सरकार ने वसूली को वपास करने के कोर्ट के आदेश पर आपत्ति जताई। उत्तर प्रदेश सरकार के वकील ने कहा नोटिस के जरिये की गई वसूली पर स्टे लगा दिया जाए जब तक नए कानून के तहत नोटिस नहीं जारी किया जाता है। यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार 2020 के कानून के तहत कार्रवाई करना चाहती है। इस कानून के मुताबिक एक ट्रिब्यूनल बनाया जायेगा जो यह तय करेगा की प्रॉपर्टी नष्ट करने के लिए कौन जिम्मेदार है और किससे कितना हर्जाना वसूलना है।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि अब तक कितनी रिकवरी की गई। उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया कि इसका कोई आंकड़ा नहीं है की कितना पैसा वसूला गया है लेकिन यह आंकड़ा करोड़ों में है। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से दलील दी गई कि राज्य में आचार संहिता लागू है ऐसे में कोर्ट के आदेश को पालन करने में दिक्कत होगी, रिकवरी की प्रोपर्टी को कब्जे में लिया जा चुका है, अब उसको रिफण्ड करना संभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की इस दलील पर आश्चर्य जताया की कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए आचार संहिता कैसे रोक सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर रिकवरी कानून के खिलाफ की गई हो और रिकवरी के आदेश को वपास ले लिए गया तो रिफण्ड किया जाना चहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा की सारा मामला फिर से ट्रिब्यूनल में शुरू किया जाए। लेकिन अब तक जो भी प्रॉपर्टी जप्त हुए हैं या प्रदर्शनकारियों से हर्जाने के तौर पर पैसा लिया गया है वह वापस किया जाए।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों को भेजे गए वसूली नोटिस राज्य शासन वापस ले, वरना हम इसे रद्द कर देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को चेतावनी दी था कि वह कानून के उल्लंघन के लिए शुरू की गई कार्रवाई को ही रद्द कर देगा। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की वकील नीलोफर खान नेकहा रिक्शा चालकों, फल विक्रेताओं ने आपने ठेलों को बेच कर भुगतान किया है। दरअसल, 2019 में लागू नियम के मुताबिक किसी से भी सरकारी या निजी संपत्ति नष्ट होने का हर्जाना लेने के लिए एक प्रक्रिया है। उस प्रक्रिया के तहत हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज ये तय करते है की किससे कितना हर्जाना लेना है। लेकिन उत्तर प्रदेश में इस नियम का पालन नही हुआ था और सरकार ने डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को संपत्ति जप्त करने और हर्जाना लेने का अधिकार दे दिया था।