Delhi: कोरोना से मौत का मुआवजा पाने के लिए फर्जी सर्टिफिकेट लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा…

नई दिल्ली. कोरोना से मौत का मुआवज़ा लेने के लिए फर्जी डेथ सर्टिफिकेट लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। सुप्रीम कोर्ट मामले में 23 मार्च को फैसला सुनाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुरक्षित रखते हुए संकेत दिया कोरोना से मौत का मुआवज़ा लेने के लिए फर्जी डेथ सर्टिफिकेट लगाने के मामले में जांच कराएगा। सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि गुजरात, महाराष्ट्र, केरला और आंध्रप्रदेश में कोरोना से मौत के मुआवज़े के 5 प्रतिशत आवेदन की जांच का आदेश देगा।

नई दिल्ली. कोरोना से मौत का मुआवज़ा लेने के लिए फर्जी डेथ सर्टिफिकेट लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। सुप्रीम कोर्ट मामले में 23 मार्च को फैसला सुनाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुरक्षित रखते हुए संकेत दिया कोरोना से मौत का मुआवज़ा लेने के लिए फर्जी डेथ सर्टिफिकेट लगाने के मामले में जांच कराएगा। सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि गुजरात, महाराष्ट्र, केरला और आंध्रप्रदेश में कोरोना से मौत के मुआवज़े के 5 प्रतिशत आवेदन की जांच का आदेश देगा।

आज मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा कोरोना से मौत के मुआवज़े के फर्जी डेथ सर्टिफिकेट लगाने के मामले में एक IA दाखिल कर दिया है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुझाव दिया कि कोरोना से मुआवज़े के आवेदन की सीमा 4 हफ्ते तय किया जाए। साथ ही मर्ज़ी डेथ सर्टिफिकेट के मामले में केंद्र सरकार राज्यों की मदद से फर्जी सर्टिफिकेट का सैंपल सर्वे कराने की भी मांग किया। जस्टिस शाह ने कहा कि 4 हफ्ते का समय उचित नहीं है, कम से कम आवेदन के लिए 6 हफ्ते का समय दिया जाना चहिये। जस्टिस शाह ने कहा फर्जी सर्टिफिकेट के मामले में दो से तीन राज्यों में सेंपल सर्वे किया जाए। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुझाव दिया कि पहले गुजरात, महाराष्ट्र, केरला और आंध्रप्रदेश सेंपल सर्वे किया जाए। इससे पहले केंद्र सरकार ने कोर्ट को जानकारी दिया था कि कोरोना से मौत के आधिकारिक आंकड़े और मुआवज़ा पाने के लिए दाखिल आवेदनों में बड़ी संख्या में अंतर देखने को मिला है।

सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि गुजरात, महाराष्ट्र, केरला और आंध्रप्रदेश में कोरोना से मौत के मुआवज़े के 5 प्रतिशत आवेदन की जांच का आदेश देगा। इन राज्यों में मुआवज़े के आवेदनों और कोरोना की मौत के आधिकारिक आंकड़ों में अंतर देखने को मिला था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोरोना से मौत के मुआवज़े के आवेदन के लिए 60 दिन की समय सीमा तय करेगा। भविष्य में होने वाली मौत का मुआवज़ा पाने के लिए दावा 90 दिन के भीतर करना होगा। मामले की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकीक आर बसंत ने सुझाव दिया कि मामले में जांच स्थानीय पुलिस के बजाए जिला विधिक सेवा ऑथरिटी (DLSA) से कराई जाए। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने NDMA को मुआवज़े के झूठे दावों की समीक्षा करने का अधिकार है।

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