मुलायम सिंह यादव को भारत रत्न देने की मांग, सपा के वरिष्ठ नेता आईपी सिंह ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र

सपा के वरिष्ठ नेता आईपी सिंह ने राष्ट्रपती को पत्र भेज कर मुलायम सिंह यादव को भारत रत्न देने की मांग की है। आईपी सिंह नें ट्वीट करते हुए लिखा कि धरतीपुत्र मुलायम सिंह यादव वो नाम है जो ‘भारत रत्न’ की शोभा बढ़ाने का काम करेगा। नेताजी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ देने की अविलंब घोषणा की जानी चाहिए।

सपा के वरिष्ठ नेता आईपी सिंह ने राष्ट्रपती को एक पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होने लिखा कि विगत सोमवार को समाजवाद के एक स्वर्णिम अध्याय का समापन हो गया। देश में अपने सबसे प्रिय नेता आदरणीय श्री मुलायम सिंह यादव को खो दिया। एक ऐसा नेता जिसका जीवन ही संघर्ष का दूसरा नाम है। एक ऐसा व्यक्तित्व जिसने सामाजिक न्याय की ऐतिहासिक लड़ाई लड़ी और अपना सर्वस्व राष्ट्र के नाम समर्पित कर दिया।

आईपी सिंह ने अपने पत्र में लिखा कि उत्तरप्रदेश के छोटे से कस्बे सैफई के एक पिछड़े परिवार में जन्म लेने वाले नेताजी लगभग 6 दशकों तक सदैव देश की राजनीति का केंद्रबिंदु बने रहे। वह सही मायने में भारतीय राजनीति का अक्षयकोष हैं। 8 बार विधायक, 7 बार संसद, 3 बार उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री और एक बार भारत के रक्षा मंत्री रहकर भी नेताजी ने कभी जमीन नहीं छोड़ी। वह गरीबों के मसीहा थे और आजीवन सिर्फ गरीब कल्याण की राजनीति की। महामहिम, समाज के जिस वंचित और शोषित वर्ग के लिए नेताजी ने संघर्ष किया, उस वर्ग की पीड़ा और दर्द आपसे बेहतर कोई नहीं समझ सकता। नेताजी ने आजीवन एक ऐसे ‘सक्षम समाज हेतु संघर्ष किया जहां सभी को बराबरी का मौका मिले। एक ऐसा समाज जो शहर-गाँव, अमीर-गरीब, हिंदू-मुसलमान, अगड़ा-पिछडा, सभी को एक धागे में पिरो कर एक सशक्त भारत का निर्माण करे।

उन्होने लिखा कि आज नेताजी के गोलोकगमन से पूरा देश शोकाकुल है और सभी में निराशा का एक भाव है। ऐसे में उनके करोड़ों चाहने वालों और समाजवादी विचारधारा के हर सिपाही की भावनाओं को ध्यान में रखते हए नेताजी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने की अविलंब घोषणा की जानी चाहिए। धरतीपुत्र मुलायम सिंह यादव वो नाम है जो ‘भारत रत्न’ की शोभा बढ़ाने का काम करेगा। यह फैसला हर उस व्यक्ति को साहस देगा जो सामाजिक शोषण के विरुद्ध उठी एक निर्भीक आवाज है। और शायद फिर भारत के किसी कोने में एक ऐसी ही निडर और निर्भीक आवाज गूंजे जिसे देश ‘नेताजी’ कह कर बुलाए।

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