
उत्तराखंड : टिहरी बांध बने हुए 17 साल से अधिक का समय हो गया है, लेकिन बांध से प्रभावितों की समस्याओं का समाधान आज तक टीएचडीसी और पुनर्वास निदेशालय समाधान नहीं कर पाया है। जिसके चलते आज भी विस्थापन की समस्याएं जस की तस बनी हुई है। इसके चलते टिहरी बांध से प्रभावित तिवाड़ गांव के ग्रामीणों ने टीएचडीसी एवं पुनर्वास निदेशालय से भूमि के बदले भूमि देने की मांग को लेकर तिवाड़ गांव के समीप टिहरी झील के किनारे अनिश्चितकालीन क्रमिक अनशन पर बैठ गए है।
आपको बता दे की दूसरे दिन भी प्रभावित ग्रामीण क्रमिक अनशन पर बैठे हुए है। टिहरी बांध की झील का जलस्तर भी लगातार बढ़ने के बावजूद ग्रामीण क्रमिक अनशन पर बैठे हुए है। वहीं बांध प्रभावितों का कहना है कि टिहरी बांध बनने के कारण तिवाड़ गांव की भूमि बांध की झील में समा चुकी है, लेकिन टीएचडीसी एवं पुनर्वास निदेशालय ने ग्रामीणों को भूमि के बदले भूमि आज तक नहीं दी गई है, और न ही ग्रामीणों को भूमि का कोई मुआवजा दिया गया है।
ग्रामीण का कहना है कि टीएचडीसी ने ग्रामीणों के साथ बड़ा धोखा किया है, उन्होंने कहा कि टिहरी बांध से प्रभावित पूर्व में भी जितने भी गांव झील में समाए हैं उन गांवों को भूमि के बदले भूमि ही टीएचडीसी ने दी है। उन्होंने कहा कि पूर्व की भांति भी तिवाड़ गांव के प्रभावित ग्रामीणों को भूमि के बदले भूमि ही मिलनी चाहिए। क्योंकि नीतियों में भूमि के बदले भूमि देने को लेकर अंकित है। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को टीएचडीसी व पुनर्वास निदेशालय ग्रामीणों की मांगों पर सकारात्मक कदम जल्द नहीं उठाती है, तब तक ग्रामीण अनिश्चितकालीन क्रमिक अनशन पर डटे रहेंगे और जल समाधि तक लेने को मजबूर होंगे।क्योंकि धरने स्थल तक झील का पानी पहुंचने वाला है।