Digital Story: आखिर क्या हैं सेमिकॉन…. भारत के सामने कितनी चुनौती? क्या चीन और अमेरिका को देगा कड़ी टक्कर

भारत में सेमीकंडक्टर की मांग लगभग 24 बिलियन डॉलर है और यह उम्मीद जताई जा रही है कि 2025 तक यह बाजार बढ़कर 100 बिलियन डॉलर तक पहुँच जाएगा।

Digital Story: भारत सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में ग्लोबल प्लेयर बनने का सपना देख रहा है. इसी सपने को पीएम मोदी सच करने में जुटे हुए हैं. पीएम मोदी सेमीकंडक्टर क्षेत्र को लेकर अपनी प्रतिबद्धता पहले ही जता चुके हैं. पीएम मोदी ये कह चुके हैं कि आने वाला समय सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री का होगा और इसमें भारत की भूमिका पूरे विश्व में काफी खास होगी. पीएम मोदी का सिंगापुर दौरा भी इस लक्ष्य की तरफ बढ़ने में एक बड़ा कदम साबित होने वाला है.

सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में भारत को पूरी तरीके से आत्मनिर्भर बनाने और अन्य देशों को यहां आकर अपनी फैक्ट्री खोलने और निवेश के लिए प्रेरित करने के लिए सेमीकॉन इंडिया का आयोजन किया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ग्रेटर नोएडा में इसका उद्घाटन किया. लेकिन क्या आपको पता हैं कि सेमीकॉन आखिर होता क्या हैं.. इसमें स्कोप क्या हैं.. इसके साथ ही इसके क्या-क्या फायदे होते हैं..आइए इसके बारे में हम आपको अच्छे से समझाते हैं..

क्या हैं सेमिकॉन

सेमिकॉन, जिसका पूरा नाम “सेमिकंडक्टर” है, एक ऐसा सामग्री है जिसका विद्युत चालकता (conductivity) किसी इंसुलेटर (जैसे रबर) और एक कंडक्टर (जैसे तांबा) के बीच में होती है। सेमिकंडक्टर इलेक्ट्रॉनिक्स की दुनिया का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और इनका उपयोग विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और सर्किट्स में किया जाता है।

सेमिकंडक्टर की विद्युत चालकता को बदलने के लिए, इन्हें विशेष रूप से डोपिंग (doping) तकनीक के माध्यम से तैयार किया जाता है। इस प्रक्रिया में सेमिकंडक्टर सामग्री में अन्य तत्व मिलाए जाते हैं ताकि इसकी विद्युत चालकता को नियंत्रित किया जा सके। सेमिकंडक्टर सामग्री के बिना, हमारे पास आज की उन्नत इलेक्ट्रॉनिक और कंप्यूटर तकनीक संभव नहीं होती। ये सामग्री सर्किट्स, कंप्यूटर चिप्स, और मोबाइल फोन से लेकर बहुत सारे अन्य आधुनिक उपकरणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

चिप के बिना नहीं हो सकता इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद निर्मित

आपको सेमीकंडक्टर के बारे में अब तक जानकारी हो ही गई होगी, चलिए अब सेमीकंडक्टर चिप के बारे में बात करते हैं। दरअसल, इसी चिप की कमी की वजह से दुनियाभर में कामकाज धीमा हो गया था। आज की तेज-तर्रार दुनिया में तकनीक की मदद से हर काम झटपट किया जाता है, और अधिकांश मशीनों में सेमीकंडक्टर चिप का इस्तेमाल होता है। आसान शब्दों में कहे तो सेमीकंडक्टर चिप के बिना कोई भी इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद निर्मित नहीं किया जा सकता है।

सेमीकंडक्टर चिप वाहनों, स्मार्टफोन, कंप्यूटर, एटीएम, कार, डिजिटल कैमरा, एयर कंडीशनर, और फ्रिज जैसे उपकरणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इसके अतिरिक्त, मिसाइलों में भी सेमीकंडक्टर चिप की आवश्यकता होती है। सेमीकंडक्टर चिप उत्पादों के कंट्रोल और मेमोरी फंक्शन को ऑपरेट करने में मदद करती हैं। लक्जरी कारों के सेन्सर्स, ड्राइवर असिस्टेंस, पार्किंग रियर कैमरा, एयरबैग, और इमरजेंसी ब्रेकिंग सिस्टम में भी सेमीकंडक्टर चिप्स का महत्वपूर्ण उपयोग होता है।

कौन है दुनिया में सेमीकॉन का सबसे बड़ा सप्लायर?

दुनिया में सेमीकंडक्टर के सबसे बड़े सप्लायर ताइवान, चीन और अमेरिका हैं, जबकि साउथ कोरिया भी इस क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है। इनमें, प्रोसेसर चिप और सेमीकंडक्टर का सबसे बड़ा निर्यातक चीन है। कोरोना महामारी के दौरान जब चीन में चिप का उत्पादन ठप हुआ, तो इसका प्रभाव भारत समेत पूरी दुनिया पर पड़ा। इसके अलावा, अमेरिका ने हुआवे जैसी कई चीनी कंपनियों के लिए अमेरिकी सेमीकंडक्टर की सप्लाई पर रोक लगा दी थी।

सेमीकंडक्टर बनाना क्यों इतना मुश्किल है?

दरअसल सेमीकंडक्टर बनाना एक बहुत ही जटिल प्रक्रिया है, जिसमें एक छोटे से चिप को तैयार करने के लिए 400-500 चरण होते हैं। इनमें से किसी एक चरण में भी गलती होने पर करोड़ों रुपये का नुकसान हो सकता है। सेमीकंडक्टर बनाने के लिए आवश्यक धातु और अन्य सामग्री कुछ ही देशों के पास उपलब्ध हैं, और डिजाइन की तकनीक भी चुनिंदा देशों के पास है। बता दें कि सेमीकंडक्टर माइक्रोचिप्स में प्रयुक्त धातु पैलेडियम का सबसे बड़ा सप्लायर रूस है।

भारत में, दुनियाभर की प्रमुख आईटी और चिप निर्माता कंपनियों में भारतीय इंजीनियर काम करते हैं और चिप डिजाइन करते हैं। हालांकि, सेमीकंडक्टर निर्माण के क्षेत्र में एक चुनौती यह भी है कि कई कंपनियों ने अपनी तकनीकों का पेटेंट कराया है, जिससे अन्य कंपनियों को चिप निर्माण के लिए निर्भर रहना पड़ता है।

सेमीकंडक्टर सेक्टर में तीन प्रमुख प्रकार की कंपनियाँ होती हैं: कुछ चिप का निर्माण करती हैं (फैब्स), कुछ चिप बनाने के लिए आवश्यक मशीन और सामग्री प्रदान करती हैं, और कुछ रिसर्च और डिजाइन का कार्य करती हैं। भारत में फिलहाल रिसर्च और डिजाइन से जुड़ी कंपनियाँ मौजूद हैं, और अब भारत उत्पादन से जुड़ी कंपनियों पर जोर दे रहा है। चिप सप्लाई चेन के कुल राजस्व में चिप डिजाइनिंग, असेंबलिंग, टेस्टिंग, पैकेजिंग और मार्किंग की 50% हिस्सेदारी होती है, इसलिए भारत का फोकस इस क्षेत्र पर बढ़ रहा है।

भारत बनेगा बड़ा बाजार

भारत में सेमीकंडक्टर की मांग वर्तमान में लगभग 24 बिलियन डॉलर है, और यह उम्मीद की जा रही है कि 2025 तक यह बढ़कर 100 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी। 2030 तक यह आंकड़ा 110 अरब डॉलर तक पहुँच सकता है। वर्तमान में, भारत पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक्स गैजेट्स के आयात पर निर्भर है, और पेट्रोल और गोल्ड के बाद इलेक्ट्रॉनिक्स का सबसे बड़ा आयात भारत में होता है। इनमें से करीब 27% आयात केवल सेमीकंडक्टर का होता है।

चिप उद्योग की वैश्विक महत्वता को देखते हुए, भारत ने 2025 तक इस क्षेत्र में 10 बिलियन डॉलर निवेश करने की योजना बनाई है। इसके साथ ही, अमेरिका अगले दो वर्षों में 208 बिलियन डॉलर और चीन इस पर करीब 1.4 ट्रिलियन डॉलर का निवेश करेगा।

‘मेड इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ को मिलेगी गति

चीन सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग के मामले में दुनिया का एक प्रमुख खिलाड़ी है, और अमेरिका व जापान जैसे विकसित देशों को भी सेमीकंडक्टर के लिए ताइवान और चीन पर निर्भर रहना पड़ता है। भारत ने इस स्थिति को बदलने के लिए कदम उठाए हैं और अब सेमीकंडक्टर विनिर्माण क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहा है।

भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट स्थापित होने के बाद, चिप निर्माण प्रक्रिया की शुरुआत होगी, जिससे डिजिटल अर्थव्यवस्था में तेजी से वृद्धि की संभावना है। इन तीन नए प्लांट्स से न केवल सेमीकंडक्टर की उपलब्धता बढ़ेगी, बल्कि इससे रक्षा, अंतरिक्ष, और इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्रों में भी विकास को गति मिलेगी। साथ ही, भारत में सेमीकंडक्टर उत्पादन के साथ-साथ निर्यात भी बढ़ेगा, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। जो युवाओं के लिए बड़े ही अच्छे अवसर के रूप में देखा जा रहा हैं..

केंद्र सरकार ने दी तीन नए सेमीकंडक्टर प्लांट खोलने की मंजूरी

केंद्र सरकार ने देश में तीन नए सेमीकंडक्टर प्लांट खोलने की मंजूरी दे दी है। इनमें पहला प्लांट गुजरात के धोलेरा में, दूसरा प्लांट गुजरात के साणंद में, और तीसरा प्लांट असम के मोरीगांव में स्थापित किया जाएगा। भारत वर्तमान में पेट्रोलियम और गोल्ड के बाद इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का सबसे बड़ा आयातक है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए एक विशाल बाजार है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में सेमीकंडक्टर की मांग लगभग 24 बिलियन डॉलर है और यह उम्मीद जताई जा रही है कि 2025 तक यह बाजार बढ़कर 100 बिलियन डॉलर तक पहुँच जाएगा।

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