वन पंचायतों को बचाने से ही, आग से बच पायेगे जंगल

सरकार को सुझाव देते हुए रावल का कहना है, उत्तराखंड सरकार जो वन पंचायतें निष्क्रिय कि है, उन्हें सक्रिय कर के व्यवस्थाओं को पूरा करें।

उत्तराखंड में धू-धू कर जल रहे जंगलो पर सरपंचों के प्रदेश अध्यक्ष पूरन सिंह रावल‌ ने जिलाधिकारी बागेश्वर के माध्यम से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन सौंपा है। भारत समाचार  के संग हुई बातचीत में  पूरन रावल का कहना है, कि देहरादून में बैठ कर अफसरशाही अपने मन मर्जी कि नियमावली बना रही है,वन पंचायतों से कोई राय नहीं ली जाती है।  जनता का जंगलो के प्रति मोह भंग हो गया है। वन पंचायतों को निष्क्रिय कर दिया है। वन नीतियों ने जंगल बर्बाद कर दिये है।

सरकार को सुझाव देते हुए रावल का कहना है, उत्तराखंड सरकार जो वन पंचायतें निष्क्रिय कि है, उन्हें सक्रिय कर के व्यवस्थाओं को पूरा करें। पूर्व में हमारे बुजुर्गों के माध्यम से जो जंगल विरासत मे  मिली है। उसी रूप में जंगल  वापस लौटाये, वन विभाग के अधीन जंगल छोड़कर  जंगल आज लावारिस हालत में आ गये है। वन पंचायतों के निष्क्रियता के कारण ही जंगल भस्म हो रहे है, पहाड़ को बचाना है, तो पहले पहाड़ के जंगल बचाना जरूरी है।

बागेश्वर के जंगलों में फैली वनाग्नि  पर  जिलाधिकारी बागेश्वर का कहना है, मानव जनित कारणों के कारण जंगल स्वाहा हो रहे है। शक्ति के साथ हम वनाग्नि फैलाने वालों से निपट रहे है। प्रशासन अकेले आग पर काबू नहीं पा सकता है, डीएम बागेश्वर की जनता से अपील है, कि अपने खेत खलिहानों में अगर आग लगायी जा रही है।  तो अपनी देख रेख में ही आग लगाये अन्यथा आग बिलकुल न लगाये, आग  की घटनाओं को अंजाम देने वालों पर मुकदमा चलाया जाएगा।  बागेश्वर के सभी एसडीएम और सीडीओ बागेश्वर को निर्देश कर दिया है, कि वनाग्नि की घटनाओं को अंजाम देने वालो पर शक्ति से निपटें। आग लगने की सूचना देने वालों को इनाम भी दिया जायेगा।

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