रिपोर्ट – रवि सर्राफ
उत्तराखंड में फ़रवरी में विधानसभा चुनाव होने जा रहे है। 16 दिसंबर को राहुल गांधी ने देहरादून में विजय दिवस रैली करके चुनाव अभियान की शुरुआत की। चुनाव अभियान की शुरुआत के एक सप्ताह बाद ही कांग्रेस के भीतर घमासान शुरू हो गया है। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और चुनाव अभियान के प्रमुख हरीश रावत ने ऐसा बयान दिया कि दिल्ली से लेकर देहरादून हल चल शुरू हो गई।
हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर लिखा “है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है। जिस समुद्र में तैरना है। सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं। जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं। मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश_रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिये, अब विश्राम का समय है!
फिर चुपके से मन के एक कोने से आवाज उठ रही है “न दैन्यं न पलायनम्” बड़ी उपापोह की स्थिति में हूँ। नया वर्ष शायद रास्ता दिखा दे। मुझे विश्वास है कि भगवान केदारनाथ जी इस स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करेंगे”
दरअसल कुछ ही महीने पहले रावत ने अपने नज़दीकी को उत्तराखंड कांग्रेस का अध्यक्ष बनवाया। प्रीतम सिंह उत्तराखंड कांग्रेस के अध्यक्ष थे जिन्हें हटाकर विधायक दल का नेता बनाया गया और हरीश रावत के सबसे क़रीबी गणेश गोदियाल को उत्तराखंड कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। अब सवाल यह उठता है कि जब हरीश रावत कहते हैं कि उत्तराखंड कांग्रेस का संगठन के साथ नहीं हैं तो क्या फिर गणेश गोदियाल को अध्यक्ष बनाना हरीश रावत गलती थी।
हरीश रावत जब प्रेस कॉन्फ़्रेन्स के ज़रिए यह बता रहे थे कि कुछ संगठन के लोग नकारात्मक काम कर रहे हैं उस वक़्त संगठन के मुखिया और उत्तराखंड कांग्रेस के अध्यक्ष गणेश गोदियाल भी उनके साथ ही बैठे हुए थे। दरअसल हरीश रावत अध्यक्ष बदलने में तो क़ामयाब हो गए लेकिन नए अध्यक्ष की कमेटी जिसमें ख़ासतौर पर जिला और ब्लॉक अध्यक्ष बनाए जाते हैं वह नहीं बन पाए।
कुछ ही दिनों पहले हरीश रावत एक राजनैतिक शिगूफ़ा छोड़ा, हरीश रावत ने कहा, पंजाब की तर्ज़ पर उत्तराखंड में भी किसी दलित चेहरे को मुख्यमंत्री बनाना चाहिए।हरीश रावत के इस बयान ने यशपाल आर्य तुरंत उनके ख़ेमे में पहुँच गए जो हाल ही में बीजेपी से कांग्रेस में शामिल हुए है।
16 दिसंबर की विजय दिवस रैली के बाद कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने उत्तराखंड के सीनियर नेताओं के साथ देहरादून में बैठक की थी। बैठक में राहुल गांधी ने कहा था,कोई कोटा सिस्टम नहीं चलेगा “जो जिताऊ है और टिकाऊ है” पार्टी उसे ही चुनाव लड़ाएगी। हरीश रावत की पीड़ा यहीं ख़त्म नहीं होती कांग्रेस आलाकमान ने उत्तराखंड के लिए जो स्क्रीनिंग कमेटी बनायी है। वह आम तौर पर दिल्ली में बैठक किया करती थी लेकिन इस बार कांग्रेस आलाकमान द्वारा बनायी हुई यह स्क्रीनिंग कमेटी हर ज़िले में जाकर जीतने वाले उम्मीदवार को ढूंढ रहे हैं तो ऐसे में हरीश रावत के साथ जो बाक़ी और सीनियर नेता है जिन्हें अपने कोटे में समर्थकों के लिए टिकट चाहिए वह इस बात से भी नाराज़ हैं।