Gayanvapi Case : ज्ञानवापी मामले में सुनवाई हुई पूरी, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

काशी विशेश्वर नाथ और ज्ञानवापी विवाद मामले में दाखिल याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज सुनवाई पूरी हो गई है। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने सिविल वाद की पोषणीयता और एएसआई सर्वे आदेश के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई पूरी होने के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया है।

रिपोर्ट : धीरेन्द्र द्विवेदी, प्रयागराज

प्रायगराज : काशी विशेश्वर नाथ और ज्ञानवापी विवाद मामले में दाखिल याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज सुनवाई पूरी हो गई है। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने सिविल वाद की पोषणीयता और एएसआई सर्वे आदेश के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई पूरी होने के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलों को सुना है।

मस्जिद की इंतजामिया कमेटी और वक्फ बोर्ड के वकीलों की तरफ से सिविल वाद की पोषणीयता पर सवाल उठाए गए हैं। मस्जिद कमेटी के वकीलों का कहना है कि वाराणसी कोर्ट को इस मामले में सुनवाई का अधिकार नहीं है।1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत आजादी के बाद किसी भी धार्मिक स्थल के स्वरूप को बदला नहीं जा सकता है। प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट 15 अगस्त 1947 के बाद देश के किसी भी धार्मिक स्थल के स्वरूप में बदलाव को प्रतिबंधित भी करता है। साथ ही सिविल प्रक्रिया संहिता का आदेश नियम 7 और 11 भी लागू होता है। जिसके तहत जिला न्यायालय वाराणसी में दाखिल सिविल वाद पोषणीय नहीं है। वहीं मंदिर पक्ष की तरफ से पेश वकीलों ने कहा कि प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट उन जगह पर लागू होता है, जहां पर कोई विवाद नहीं है। इस मामले में प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट लागू नहीं होता है।

मंदिर पक्ष के वकीलों का तर्क है कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने मंदिर को खंडित करके ही मस्जिद का निर्माण कराया है। अभी भी मंदिर अवशेष मस्जिद परिसर में मौजूद हैं। इस लिए एएसआई सर्वे भी जरूरी है। फिलहाल कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद सिविल वाद की पोषणीयता और एएसआई सर्वे आदेश के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। वक्फ बोर्ड के वकील पुनीत गुप्ता ने कहा कि इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली है। ठंडियो की छुट्टी से पहले हाईकोर्ट अपना जजमेंट सुना सकता है।

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