“बिना काम किए मिल रहे पैसे…”: मुफ्त योजनाओं को लेकर Supreme Court नाराज ! सरकार को लगाई फटकार

Supreme Court की यह टिप्पणी केवल गरीबों के कल्याण तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह समाज के हर वर्ग के लिए मुख्यधारा में शामिल होने का अवसर...

Supreme Court ने मुफ्त योजनाओं और बिना काम किए लोगों को मिलने वाली सहायता पर गंभीर टिप्पणी की है। शहरी गरीबी उन्मूलन के मुद्दे पर हुई सुनवाई के दौरान Court ने कहा कि लोग बिना काम किए पैसे प्राप्त कर रहे हैं और इस प्रकार की प्रथा से लोग काम करने से बचने की कोशिश कर रहे हैं। कोर्ट ने इसे एक गंभीर चिंता का विषय बताया और कहा कि इस पर ध्यान देने की जरूरत है।

मुफ्त योजनाओं और कैश वितरण पर Supreme Court की टिप्पणी

Supreme Court ने इस बात पर गंभीर चिंता जताई कि कैसे मुफ्त राशन और नकद सहायता लोगों को काम करने से हतोत्साहित कर रही है। कोर्ट के अनुसार, यह व्यवस्था एक लंबी अवधि में गरीबी और बेरोज़गारी के मुद्दों को बढ़ावा दे सकती है। उन्होंने कहा कि केवल वित्तीय सहायता से गरीबी का स्थायी समाधान नहीं हो सकता, और इसे एक अस्थायी उपाय के रूप में देखना चाहिए।

काम के अवसरों की आवश्यकता पर जोर

Supreme Court ने शहरी गरीबी उन्मूलन के संदर्भ में यह भी कहा कि सरकारों को केवल वित्तीय सहायता के बजाय लोगों को रोजगार के अवसर और आत्मनिर्भरता की दिशा में काम करने की आवश्यकता है। लोगों को काम करने के लिए प्रेरित करना और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।

कोर्ट का निर्देश: गरीबी उन्मूलन के लिए स्थायी समाधान चाहिए

Supreme Court ने यह भी कहा कि गरीबी उन्मूलन के लिए कोई स्थायी समाधान सरकारों द्वारा तैयार किया जाना चाहिए। मुफ्त योजनाओं और कैश ट्रांसफर के बजाय लोगों को रोजगार के अवसर, शिक्षा, और कौशल विकास के माध्यम से सशक्त बनाना जरूरी है। इसके लिए राज्य सरकारों और केंद्र सरकारों को एक नई दिशा में काम करना होगा।

समाज के हर वर्ग को मुख्यधारा में लाने की आवश्यकता

Supreme Court की यह टिप्पणी केवल गरीबों के कल्याण तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह समाज के हर वर्ग के लिए मुख्यधारा में शामिल होने का अवसर प्रदान करने की दिशा में एक ठोस कदम हो सकती है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि सरकारों को गरीबों को केवल वित्तीय सहायता देने के बजाय, उन्हें सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम करना चाहिए।

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