ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया। ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले हिन्दू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में पौराणिक ग्रंथो और इतिहास का हवाला दिया गया हैं। पौराणिक और इतहासिक साक्ष्य यह साबित करते हैं वहा मदिर तोड़ कर मस्जिद बनाई गई थी। हिन्दू पक्ष ने कहा कि भगवान की संपत्ति किसी को नहीं दी जा सकती हैं।
वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद मामले में में सुप्रीम कोर्ट 19 मई को दोपहर 3 बजे सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी कोर्ट को निर्देश जारी किया कि वह ज्ञानवापी मामले से जुड़ा कोई आदेश कल तक जारी नहीं करेगा। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान हिन्दू पक्षकार की तरफ से मामले की सुनवाई शुक्रवार तक टालने की मांग की थी। वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा मामले में याचिकाकर्ता की तरफ से मुख्य वकील हरिशंकर जैन कल ही अस्पताल से डिस्चार्ज हुए है, इसलिए उनका जवाब अभी तक तैयार नहीं हो पाया है इसलिए मामले की सुनवाई कल तक के लिए टाल दी जाये। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 19 मई के लिए टाल दी थी
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिन्दू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर कहा कि औरंगज़ेब ने शासक होने के नाते जबरन कब्ज़ा किया। इससे मुसलमानों को संपत्ति पर हक नहीं मिल जाता। हिंदू सदियों से उसी स्थल पर अपनी रीतियों का पालन कर रहे हैं, परिक्रमा कर रहे हैं। हिन्दू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब में कहा औरंगजेब ने कोई वक्फ नहीं स्थापित किया था। विवादित जगह मस्ज़िद नहीं है। हिन्दू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट से मस्जिद कमेटी की याचिका खारिज करने की मांग की।
हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर कहा कि मुस्लिम पक्ष के पास कभी भी इस संपत्ति का मालिकाना अधिकार नहीं था। हिन्दू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में ज्ञानवापी मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट का भी हवाला दिया। हिन्दू पक्ष ने कहा कि एडवोकेट कमिश्नर के रिपोर्ट पेश करने के बाद यह स्पष्ट है कि विवादित संरचना में हिंदू मंदिर का चरित्र है। हिन्दू पक्ष ने कहा मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में कभी भी भगवान आदि विश्वेश्वर के अस्तित्व के बारे में कभी चुनौती नहीं दी है। हिन्दू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में कहा कहा कि हिंदू कानून के तहत एक बार देवता में निहित संपत्ति देवता की संपत्ति बनी रहेगी और इसका विनाश यदि किया भी जाय तो भी संपत्ति की प्रकृति को नहीं बदल सकता है।
हिन्दू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब मे कहा विचाराधीन संपत्ति किसी वक्फ की नहीं है। यह संपत्ति ब्रिटिश कैलेंडर वर्ष की शुरुआत से लाखों साल पहले ही देवता आदि विशेश्वर में निहित थी और देवता की संपत्ति बनी हुई है। हिन्दू पक्ष ने कहा कि किसी देवता के स्वामित्व वाली भूमि पर कोई वक्फ नहीं बनाया जा सकता है। मुगल शासन के दौरान लिखी गई ऐतिहासिक पुस्तकों में मुस्लिम इतिहासकारों ने यह दावा नहीं किया है कि औरंगजेब ने आदि विशेश्वर के मंदिर के ढांचे को ध्वस्त करने के बाद कोई वक्फ बनाया था।