न्यायिक व्यवस्था में पारदर्शिता और सर्वसुलभ न्याय के लिहाज से मंगलवार को इलाहबाद हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण कदम उठाया. कोर्ट ने साल 2023 में होने वाले न्यायिक अधिकारियों के स्थानांतरण के सम्बन्ध में जरुरी दिशा निर्देश जारी किये. अक्सर न्याय व्यवस्था की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता को लेकर सवाल उठाये जाते हैं.
अदालत के सामने बड़ी संख्या में पेंडिंग केस तो थे ही साथ में कोर्ट के सामने वकीलों की तैनाती में कथित अनियमितता और भ्रष्टाचार भी एक बड़ी चुनौती थी. बहरहाल, इलाहबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को साल 2023 में होने वाले न्यायिक अधिकारियों के स्थानांतरण के सम्बन्ध में जरुरी दिशा निर्देश जारी एक बेहद महत्वपूर्ण कदम उठाया है.
कोर्ट ने जारी किए ये दिशा-निर्देश
- अधिकारी को उसके गृह जनपद में तैनाती नहीं दी जाएगी.
- 6 साल के भीतर तैनाती वाले जनपद में दोबारा तैनाती नहीं दी जाएगी.
- उस जोन के जनपद में तैनाती नहीं दी जाएगी जिसके 3 वर्ष के भीतर उसकी पूर्व में तैनाती रही है.
- वर्तमान तैनाती के जोन के साथ वाले में जोन में तैनाती नहीं दी जाएगी.
- लेकिन यह नियम उन अधिकारियों पर लागू नहीं होगा जिन्होंने किसी जनपद में 6 महीने से कम की नियुक्ति पायी है.
- जिन अधिकारियों के रक्त सम्बन्धी किसी जनपद में कोई व्यवसाय करते हैं उनकी सूची दाखिल होनी चाहिए.
- यदि किसी अधिकारी द्वारा पसंद से पोस्टिंग की मांग की जाती है और उसे पोस्टिंग मिल जाती है तो वह अधिकारी नियम के तहत TA का अधिकारी नहीं होगा. सभी न्यायिक अधिकारियों द्वारा भरा हुआ फॉर्म या परफॉरमा 31 दिसंबर तक भरकर जमा कराना होगा.