लास्ट सीन टुगेदर के सिद्धांत पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, आखिरी बार देखा जाना आरोपी पर डालता है सबूत का बोझ

लास्ट सीन टुगेदर' (आखिरी बार एक साथ देखे जाने क़े सिद्धांत ) क़े सिद्धांत पर इलाहबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला आया है कोर्ट ने कहा कि आरोपी को बताने की आवश्यकता है कि घटना कैसे हुई थीं।

लास्ट सीन टुगेदर’ (आखिरी बार एक साथ देखे जाने क़े सिद्धांत ) क़े सिद्धांत पर इलाहबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला आया है कोर्ट ने कहा कि आरोपी को बताने की आवश्यकता है कि घटना कैसे हुई थीं। कोर्ट ने कहा कि आखिरी बार एक साथ देखे जाने का सिद्धांत आरोपी पर सबूत का बोझ डालता है, जिसके लिए उसे यह बताना होता है कि घटना कैसे हुई थी।

ए.सी.जे प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति नलिन कुमार श्रीवास्तव की पीठ ने कहा कि “कुछ मामलों में यह निश्चित रूप से स्थापित करना मुश्किल होगा कि मृतक को अभियुक्त के साथ आखिरी बार देखा गया था जब एक लंबा अंतराल हो और बीच में अन्य व्यक्तियों के आने की संभावना हो।

इस मामले में मुखबिर रेलवे विभाग में कर्मचारी है और उसके अपने पड़ोसी आरोपित महेंद्र सिंह से मधुर संबंध हैं, जो उसके घर आया-जाया करता था। मुखबिर की पत्नी लक्ष्मी एक थैले में कुछ सामान लेकर घर से यह कहकर चली गई कि वह अपने मायके नाहरा गांव जा रही है और दो घंटे बाद वापस आएगी। लक्ष्मी को कई लोगों ने अकबरपुर रोडवेज पर आरोपित महेंद्र के साथ चट्टा की ओर जाते देखा था। मुखबिर ने पाया कि घर से 2 लाख रुपये, सोने और चांदी के गहने और कपड़े गायब थे। तलाशी के बाद उसे लक्ष्मी का शव मिला और उसकी शिनाख्त हुई।

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