धनतेरस: माता लक्ष्मी को रखना है प्रसन्न तो विशेष दिन ऐसे करें पूजा, इन जगहों पर जलाएं दीपक बनेगी कुबेर की भी कृपा

हिन्दी पंचांग के अनुसार धनतेरस हर साल कार्तिक मास की त्रयोदशी को मनाया जाता है. धनतेरस को लेकर कई प्रकार की जानकारियां सामने आतीं है.

Desk: दीवाली से पहले धन त्रयोदसी का बड़ा महत्व है. हिन्दू धर्म में मान्यता है कि धन त्रयोदसी के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने से घर में धन धान्य की कमी नहीं होती. हिन्दी पंचांग के अनुसार धनतेरस हर साल कार्तिक मास की त्रयोदशी को मनाया जाता है. धनतेरस को लेकर कई प्रकार की जानकारियां सामने आतीं है.

धनतेरस का महत्व काफी है. हिन्दू धर्म के अनुसार मान्यता है कि धनत्रयोदशी के दिन ही समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी और कुबेर के साथ स्वास्थ्य के देवता धन्वंतरि भी प्रकट हुए थे इसी कारण धनत्रयोदसी का त्योहार मनाया जाता है. हालांकि धनतेरस को लेकर लोग कई दिन पहले से ही तैयारियों में जुट जातें हैं.

आज हम आपको बताएंगे के किस प्रकार से धनत्रयोदसी के दिन पूजा पाठ किया जा सकता है जिससे आप अच्छे तरीके से माता लक्ष्मीं की पूजा कर सकते है. वहीं ऐसा माना जाता है कि धनतेरस के दिन जो भी व्यक्ति कुछ विशेष स्थान पर दीया जलाते हैं उनको सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है. हम आपको बतानें जा रहे हैं कि कौन से हैं वो स्थान हैं जहां पर यदि दिया जलाया जाए आपको कई प्रकार की समस्याओं से निजात मिलने की संभावना है.

धनतेरस पर इन स्थानों पर जलाना चाहिए दीपक

  • धनतेरस को सुख-समृद्धि का पर्व कहा जाता है. इस दिन पूजा कक्ष में दीपक जलाना बहुत शुभ माना जाता है. मंदिर में दीपक जलाने से वास्तु दोष दूर होता है और घर में आर्थिक समृद्धि आती.
  • ऐसा माना जाता है कि धनतेरस की रात श्मशान घाट पर दीपक जलाना चाहिए, ऐसा करने से मां लक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती हैं. माता लक्ष्मी कृपा बनी रहती है.
  • धनतेरस की रात्रि में कुबेर और तुला का पूजन करके पूजा स्थान में रातभर जलने वाला अखंड दीपक प्रज्वलित किया जाना चाहिए.
  • ऐसा कहा जाता है कि धनतेरस की रात्रि में कुएं की पाल पर आटे के साथ सात दीपक जलाया जाए तो कुबेर और विष्णु की कृपा प्राप्त होती है.
  • धनतेरस के दिन दिन इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि घर की तिजोरी, दुकान का गल्ला इत्यादि के पास जरुर दीपक जलाएं.
  • सबसे महत्वपूर्ण ये माना जाता है कि इस खास दिन पीपल के वृक्ष के नीचे आटे के 11 दीपक बनाकर तेल भरकर प्रज्वलित कर वहीं बैठकर विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से विष्णु-लक्ष्मी के साथ कुबेर की कृपा भी बनी रहती है.
  • इसी के साथ तुलसी, शमी, बरगद-नीम-पीपल की त्रिवेणी में दीपक जरुर जलाना चाहिए.

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