Noida: यमुना के डूब क्षेत्र में बन रहे अवैध फॉर्म हाउस, जमीन पर कब्जा कर बंद किया रास्ता तो सड़क पर उतरे सैकड़ों किसान

नोएडा में ऐसे तो घोटाले आम है जिनका खुलासा आएदिन होता रहता है लेकिन एक घोटाला ऐसा भी है जो हर दिन हो रहा खुल्लमखुल्ला हो रहा है प्राधिकरण,सिंचाई विभाग ज़िला प्रशासन के आंखों के सामने लेकिन कोई इसको देखने को तैयार नही है हम बात कर रहे है यमुना नदी की जी हा यमुना नदी के किनारे डूब क्षेत्र में लगातार आलीशान अवैध फॉर्म हाउस काटे जा रहे है डेढ़ डेढ़ करोड़ रुपयो के फॉर्म हाउस बेचे जा रहे लेकिन मौन है फॉर्म हाउस काटने वालो ने किसानों की जमीनों पर कब्ज़ा कर रास्ता बंद कर दिया एक तरफ यमुना नदी का रास्ता तो दूसरी तरफ यमुना नदी का रास्ता

नोएडा में ऐसे तो घोटाले आम है जिनका खुलासा आएदिन होता रहता है लेकिन एक घोटाला ऐसा भी है जो हर दिन हो रहा खुल्लमखुल्ला हो रहा है प्राधिकरण,सिंचाई विभाग ज़िला प्रशासन के आंखों के सामने लेकिन कोई इसको देखने को तैयार नही है हम बात कर रहे है यमुना नदी की जी हा यमुना नदी के किनारे डूब क्षेत्र में लगातार आलीशान अवैध फॉर्म हाउस काटे जा रहे है डेढ़ डेढ़ करोड़ रुपयो के फॉर्म हाउस बेचे जा रहे लेकिन मौन है फॉर्म हाउस काटने वालो ने किसानों की जमीनों पर कब्ज़ा कर रास्ता बंद कर दिया एक तरफ यमुना नदी का रास्ता तो दूसरी तरफ यमुना नदी का रास्ता

ये गेट ये सड़के ये अधिसूचित ज़मीन के बोर्ड बस सब नाम के लिए है यहां पर कब्ज़ा है अवैध फॉर्म हाउस काटने वालो का भू माफियाओं ने यमुना नदी के रास्ते पर अपना कब्जा किया और काट दिए आलीशान फॉर्म हाउस,डेढ़-डेढ़ करोड़ रुपयो की कीमत ये फॉर्म हाउस बेचे जाते है इन लोगो ने यमुना किनारे बसे किसानों की जमीनों पर कब्ज़ा कर लिया रास्ता बंद कर दिया किसानों ने प्राधिकरण,सिंचाई विभाग सरकारे सबसे गुहार लगाई लेकिन कुछ नही हुआ होता भी कैसे क्योंकि इन फॉर्म हाउसों को शय सफेदपोशों,अफसरो की होती है 2012 में इसकी जांच भी बैठी थी कई बड़े अफसरो और नेताओं के इसमे नाम आए थे लेकिन धीरे धीरे मामला ठंडे बस्ते में चला गया,किसान अपनी ज़मीन के रास्ते तो यमुना अपने आकर के लिए इन भूमाफियाओं से लड़ रही है

भूमाफियाओं ने यमुना की 10 किलोमीटर लम्बाई और 1 किलो मीटर चौड़ाई पर कब्ज़ा कर रखा है शासन नियमावली हो या फिर NGT के नियम सब बताते है की आंखों के सामने चल रहा सारा काम अवैध है लेकिन कार्यवाही नही होती,खानापूर्ति करते हुए 2018 से अब तक 75 FIR हो चुकी है 64 फॉर्म हाउस तोड़े जा चुके है लेकिन यहां तादाद 2000 से अधिक है ऐसे में सवाल खड़ा होना तय है सिंचाई विभाग का दावा है की वो पत्र प्राधिकरण को लिखता है कार्यवाही के लिए लेकिन प्राधिकरण में गए पत्र डस्टबिन में चले जाते है प्रदेश के कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष भी नोएडा प्राधिकरण को कार्यवाही के लिए निर्देशित कर चुके है लेकिन कार्यवाही सिर्फ सिफर है सिफर इसलिए है क्योंकि इन फॉर्म हाउसों में कई बड़े सफेदपोशों और अफसरो के पैसे लगे है जिनकी वजह से बड़ी कार्यवाही नही हो पाती,फिलहाल किसान योगी सरकार की यरफ टक टकी निगाहों से देख रहे है की सरकार कब कार्यवाही करती है इन अवैध फॉर्म हाउसों और इसमे शामिल सफेदपोश व अफसरो के खिलाफ

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