UP :  देश में घरेलू हिंसा के मामले में यूपी टॉप पर, दर्ज हैं 65,481 केस

घरेलू हिंसा अधिनियम के प्रावधानों को प्रभावी ढंग से लागू करने की याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि घरेलू हिंसा के मामले में यूपी टॉप पर है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यूपी में घरेलू हिंसा की 65,481 शिकायतें दर्ज है। देश में घरेलू हिंसा के कुल 2,95,601 केस दर्ज हैं।

घरेलू हिंसा अधिनियम के प्रावधानों को प्रभावी ढंग से लागू करने की याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि घरेलू हिंसा के मामले में यूपी टॉप पर है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि  यूपी में घरेलू हिंसा की 65,481 शिकायतें दर्ज है। देश में घरेलू हिंसा के कुल 2,95,601 केस दर्ज हैं।

केंद्र सरकार की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को बताया कि देश में घरेलू हिंसा के मामले में यूपी टॉप पर हैं वहीं राजस्थान दूसरे और आंध्रप्रदेश तीसरे नंम्बर पर है। दिल्ली में घरेलू हिंसा के 3 हज़ार केस दर्ज हैं। केंद्र सरकार की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि देश में घरेलू हिंसा के कुल 2,95,601 केस दर्ज हैं। जिनमें राजस्थान में 38,381 केस आंध्रप्रदेश में 37,876 केस और दिल्ली में घरेलू हिंसा के 3,564 केस दर्ज हैं। केंद्र सरकार ने बताया कि केरला में 20,826 केस , मध्यप्रदेश में 16,384, महाराष्ट्र में 16,168, असम में 12,739, कर्नाटका में 11,407 और पश्चिम बंगाल में 9,858 घरेलू हिंसा के केस दर्ज हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा NALSA देशभर में जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण के माध्यम से प्रत्येक जिले में एक संरक्षण सहायक प्रदान करने के लिए केंद्रीय कानून मंत्रालय के साथ चर्चा कर रहा है।NALSA ने मंत्रालय को सुझाव दिया है कि न्याय बंधु के बजाए न्याय भाग्यनि होना चहिये क्योंकि संकट में महिलाएं महिलाओं की सहायता करने में सक्षम हो सकती हैं। NALSA के चेयरमैन जस्टिस यू यू ललित ने सुझाव दिया कि गांवों में आंगनवाड़ी और आशा वर्कर्स इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होगी। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा था कि केंद्र सरकार घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के प्रावधानों के कार्यान्वयन को अकेले राज्यों पर नहीं छोड़ सकती हैं।।कानून के तहत अधिकारों के प्रवर्तन के लिए केंद्र सरकार को भी धन आवंटित करने की जिम्मेदारी वहन करनी चाहिए।

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