भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच में चल रही बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में तीसरे टेस्ट मैच में हार का सामना करना पढ़ा ह। यह मैच तीन दिन के अंदर ही खत्म हो गया था। इंदौर के होलकर स्टेडियम की पिच जिसने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के तीसरे टेस्ट की मेजबानी की है, आधिकारिक तौर पर एक ‘Poor’ रेटिंग दी गई है। टेस्ट के पहले दो दिनों में कुल 30 विकेट गिरने के साथ, ऑस्ट्रेलिया में भारत की नौ विकेट की हार के बाद, रोहित शर्मा ने पिच का बचाव किया, और दावा करते हुए कहा की ऐसी पिच को चुनने के लिए एक सामूहिक कॉल था। मगर भारत के बल्लेबाज़ों ने नाथन लियोन और मैथ्यू कुह्नमैन के सपने घुटने टेक दिए और दोनों ने 5-5 विकेट लिए।
भारत में पिचों पर बहस कभी न खत्म होने वाली बात है, इसपर दिग्गज सुनील गावस्कर ने भी अपनी टिप्पाणी दी है। पूर्व कप्तान, जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया और वेस्ट इंडीज सहित सबसे कठिन विकेट पर बल्लेबाजी की है, उनका बोलना यह है की भारत का हरने की वजह यह भी थी की उनका बल्लेबाज़ी न करना। एक बार आप घर में 109 रन पर आउट हो जाते हो और फिर दूसरी पारी में 163 पर तो वापसी करने का कोई मौका नहीं रहता है।
सुनील गावस्कर ने बताया की, यदि टॉस जीतने के बाद, आप 109 पर आउट हो जाते हो, तो आपके पास स्पष्ट रूप से अपने गेंदबाजों के लिए रन नहीं हैं। आप हमेशा दबाव में रहेंगे। अगर उन्होंने 180 स्कोर किया होता, तो यह अलग होता। तो यह एक कारण है, और दूसरी बात यह है कि दूसरी पारी में भी, भारतीयों ने यह मानते हुए बल्लेबाजी की हमें तो आउट होना ही है। तो क्यों नहीं कुछ शॉट खेलते हैं और रन बनाने की कोशिश करते हैं। पहले चेतेश्वर पुजारा, और फिर ट्रैविस हेड और मार्नस लाबुशेन ने दिखाया आप धैर्य के साथ खेले तो रन बन सकते है।
उन्होंने आगे ये बोलै की, भारत ने इस टेस्ट से पहले पहले दो मैच जीते, लेकिन मुझे लगता है कि तीनों टेस्ट में, यह पिच [इंदौर में] सबसे खराब थी। नागपुर और दिल्ली की पिचों में कुछ टर्न थी, लेकिन मैच के पहले आधे घंटे में हमने उतना नहीं दिखा। यह एक खराब पिच थी, और इस सतह पर कोई भी बल्लेबाज संघर्ष करता है।