
भारत में औद्योगिक संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन चेम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) ने अनुमान जताया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्तीय वर्ष 2025-26 में 6.5% से 6.9% के बीच वृद्धि कर सकती है। इस वृद्धि के प्रमुख कारणों में महंगाई दबाव में कमी, पूंजी व्यय (capex) पर लगातार जोर, और उपभोक्ता खर्च में वृद्धि शामिल हैं।
FICCI के अनुसार, कृषि क्षेत्र के बेहतर परिदृश्य से ग्रामीण खपत को बढ़ावा मिलेगा, जबकि शहरी खपत को महंगाई में कमी से सहारा मिलेगा, खासकर कम मूल्य वाली और विवेकाधीन वस्तुओं के लिए। इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा मौद्रिक नीतियों में ढील भी उपभोक्ता खर्च को प्रोत्साहित कर सकती है।
सरकारी पूंजी व्यय पर ध्यान केंद्रित करने से निवेश क्षेत्र में भी वृद्धि का अनुमान है, और सेवाओं के क्षेत्र में, खासकर होटल, रियल एस्टेट, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में नई क्षमता का निर्माण होने की संभावना है। हालांकि, कुछ नकारात्मक जोखिम भी बने हुए हैं, जैसे कि निजी पूंजी व्यय का धीमा होना और वैश्विक आपूर्ति संकट, जो व्यापार और निर्यात को प्रभावित कर सकते हैं।
इसके अतिरिक्त, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रभाव का भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है, जैसे कि व्यापार युद्ध, आयात शुल्क और श्रम लागत में वृद्धि। इसके बावजूद, भारत को चीन से आपूर्ति श्रृंखला में विविधता के कारण लाभ हो सकता है।