सुप्रीम कोर्ट से जगन्नाथपुरी हेरिटेज कॉरिडोर को हरी झंडी मिली

ओडिशा के श्री जगन्नाथपुरी मंदिर के आस पास उत्खनन और पुरी हेरिटेज कॉरिडोर के निर्माण कार्य को सुप्रीम कोर्ट ने हरी झंडी दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने निर्माण कार्य के खिलाफ दाखिल याचिकाओं को खरिज कर दिया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर एक एक लाख का जुर्माना भी लगाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि श्राइन में आने वाले लाखों लोगों के फायदे के लिए निर्माण ज़रूरी है। इससे पहले गोवाहाटी हाई कोर्ट ने भी याचिका को खरिज किया था।

ओडिशा के श्री जगन्नाथपुरी मंदिर के आस पास उत्खनन और पुरी हेरिटेज कॉरिडोर के निर्माण कार्य को सुप्रीम कोर्ट ने हरी झंडी दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने निर्माण कार्य के खिलाफ दाखिल याचिकाओं को खरिज कर दिया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर एक एक लाख का जुर्माना भी लगाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि श्राइन में आने वाले लाखों लोगों के फायदे के लिए निर्माण ज़रूरी है। इससे पहले गोवाहाटी हाई कोर्ट ने भी याचिका को खरिज किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि राज्य सरकार वहां श्रद्धालुओं की सुविधाएं बढाने के लिए काम कर रही है। प्राचीन मन्दिर के स्वरूप को खतरा पहुंचने की आशंका बेमानी है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खरिज करते हुए कहा कि याचिका में कोई मेरिट नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि वह इस तरह की जनहित याचिकाओं की प्रथा की निंदा करता है। यह न्यायिक समय की बर्बादी है, इसे शुरू में ही समाप्त करने की ज़रूरत है ताकि विकास कार्य ठप ना हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भक्तों को मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक व्यवस्था करने से राज्य को वंचित नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह निर्माण कोर्ट के तीन जजों के फैसले के अनुरूप है और जनहित के लिए है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खरिज करते हुए याचिकाकर्ता पर एक एक लाख का जुर्माना लगाते हुए चार हफ्ते में जुर्माना राशि भरने को कहा।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि बीते कुछ दिनों में जनहित याचिकाओं की संख्या में इज़ाफ़ा हुआ है ऐसी याचिकाओं में कोई जनहित शामिल नहीं होता है, ऐसी याचिका पब्लिसिटी या व्यक्तिगत हिट शामिल होता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम ऐसी याचिकाओं को सख्त नापसंद करतें है, यह कानून की प्रक्रिया के दुरुपयोग के अलवाह कुछ भी नहीं है। दरअसल, जगन्नाथपुरी मंदिर के आसपास उत्खनन कार्य को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।

याचिका में कहा कि राज्य की एजेंसियां प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 की धारा 20A के उल्लंघन कर रही हैं। याचिका में आरोप लगाया कि ओडिशा सरकार अनधिकृत निर्माण कार्य कर रही है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि वह एक प्रतिबंधित क्षेत्र है, उस क्षेत्र में कोई निर्माण नहीं हो सकता, उन्होंने प्रतिबंधित क्षेत्र में निर्माण की अनुमति भी नहीं लिया है, मंदिर परिक्रमा प्रॉजेक्ट के कंस्ट्रक्शन के लिए प्राधिकरण से किसी तरह की कोई NOC नहीं लिया गया। एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा साइट पर भारी क्षति हुई है, निरीक्षण के दौरान बताया गया कि निर्माण शुरू होने से पहले हेरिटेज साइट पर कंस्ट्रक्शन से होने वाले प्रभाव के आकलन की अध्ययन की रिपोर्ट नहीं दी गईं थी।कंस्ट्रक्शन के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की अनुमति लेनी होगी, यह सदियों पुराने स्मारक हैं

ओडिसा के AG ने कहा निर्माण का मतलब मरम्मत या मौजूदा ढांचे का पुनर्निर्माण नहीं है या सीवेज, नालियों आदि को साफ करना नहीं है, संस्कृतिक निदेशक द्वारा इसकी अनुमति ली गई थी, क्षेत्र को सुंदर बनाना और भक्तों के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराने का काम किया जा रहा है साथ ही कुछ काम मंदिर की सुरक्षा के लिए किया जा रहा है। क्या विश्व धरोहर साइट पर शौचालय निर्माण नहीं किया जा सकता है।

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