Kaiserganj Lok Sabha: सपा का ब्राह्मण प्रत्याशी! कैसे देगा BJP के करण भूषण सिंह को मात…?  

इस बीच मानों सपा भी भाजपा के फैसले का ही इंतज़ार कर रही थी। गुरुवार को भाजपा ने जैसे ही करण भूषण सिंह को टिकट देने का ऐलान किया

बृजभूषण शरण सिंह की संसदीय क्षेत्र की कैसरगंज सीट काफी समय से सुर्खियों में बनी हुई थी। इस सीट पर उम्मीदवारी को लेकर बीजेपी में लम्बे समय से चल रही चुप्पी पर नामांकन से ठीक पहले विराम लग गया और भारतीय जनता पार्टी ने यहां से अपने उम्मीदवार को लेकर आखिरी दौर में मुहर लगा दी। इस बीच मानों सपा भी भाजपा के फैसले का ही इंतज़ार कर रही थी। गुरुवार को भाजपा ने जैसे ही करण भूषण सिंह को टिकट देने का ऐलान किया उसके ठीक बाद समाजवादी पार्टी ने भी अपने उम्मीदवार का ऐलान कर दिया।

अब सवाल था कि  दबदबे वाले इस क्षेत्र में विपक्ष किस चेहरे पर दांव लगाएगा ? वो कौन होगा जो यहां से ब्रिज भूषण शरण सिंह के बेटे को टक्कर देगा ?  

दरअसल, कैसरगंज लोकसभा सीट से सपा ने बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के बेटे करण भूषण सिंह के खिलाफ ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगाया है। सपा ने इस सीट से भगत राम मिश्रा को टिकट दिया है। तो चलिए सबसे पहले जान लेते हैं कि आखिर भगत राम मिश्रा है कौन ?

65 वर्षीय भगत राम मिश्रा बहराइच जिले के पयागपुर विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले हैं। उनकी पत्नी श्रावस्ती जिले से पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। भगत पेशे से वरिष्ठ अधिवक्ता हैं। उनके पास लगभग ढाई हजार बीघा जमीन है और उनकी गिनती देवी पाटन मंडल के बड़े किसानों में होती है। वो पूर्व सांसद दद्दन मिश्रा के बड़े भाई भी हैं। उनके समाजवादी पार्टी में शामिल होने से पहले वो कांग्रेस में थे फिर कांग्रेस छोड़ने के बाद उन्होंने बीजेपी ज्‍वॉइन कर लिया लेकिन पिछले साल ही उन्होंने बीजेपी छोड़कर सपा की साइकिल का साथ पकड़ा। अब इस बार के लोकसभा चुनाव में सपा ने उन्हें कैसरगंज लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा है।

गौरतलब है कि कैसरगंज लोकसभा सीट, गोंडा जिले की तीन और बहराइच की दो विधानसभा सीटों से मिलकर बनी है। एक समय था जब इस सीट पर  सपा का भी दबदबा रहा है। वहीं, अगर जातीय समीकरण के हिसाब से देखें तो करीब 17 लाख वोटों वाली कैसरगंज लोकसभा सीट पर पिछड़े और ब्राह्मण समुदाय का दबदबा रहा है। साल 1996 से लेकर 2009 तक इस सीट पर सपा ने जीत दर्ज की थी। फिर 2009 में इसी सीट से बृजभूषण शरण सिंह ने भी सपा के टिकट पर जीत दर्ज की थी। इसके बाद बृजभूषण ने 2014 और 2019 में यहां से बीजेपी के सिंबल पर जीत दर्ज की। अब अगर राजनीतिक जानकारों की मानें तो कैसरगंज लोकसभा सीट पर किसी भी राजनीतिक दल के तरफ से मुस्लिम कैंडिडेट को उम्मीदवार न बनाने से इस सीट पर मुकाबला रोचक होने वाला है।

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