कलंक कथा- एक साल में 3 निलंबन, एक प्रमोशन लेकर आखिरकार जेल गया RFC का भ्रष्ट बाबू

संभागीय खाद्य नियंत्रक मेरठ कार्यालय के निलंबित बाबू राहुल भूषण गौड़ को आज जेल भेज दिया गया है। एडीजे ईसी एक्ट कोर्ट ने राहुल भूषण गौड़ की अंतरिम जमानत खारिज करते हुए उन्हें जेल भेजा है। राहुल भूषण गौड़ के खिलाफ 2017 और 2018 में गंगानगर थाने में लाखों रूपये की कीमत के सरकारी अनाज की कालाबाजारी करने के दो मुकदमे दर्ज हुए थे। राहुल भूषण गौड़ कई मामलों को लेकर लगातार चर्चाओं में था और बीते एक साल में दो बार सस्पेंड भी हो चुका है।

मेरठ के गंगानगर थाने में दर्ज मुकदमा अपराध संख्या 258/2017 में जिलाधिकारी की अनुमति के बाद पिछले साल चार्जशीट दाखिल की गई थी। यह मुकदमा सरकारी अनाज गोदाम से फर्जी नंबर प्लेटों वाले ट्रकों में अनाज की कालाबाजारी के संबध में था।


पुलिस और प्रशासन के अफसरों की कृपा से राहुल भूषण गौड़ के खिलाफ चार्जशीट की कार्रवाई लंबे समय से ठंडे बस्ते में पड़ी हुई थी। मेरठ के जिलाधिकारी दीपक मीणा ने मामले का संज्ञान लेते हुए चार्जशीट दाखिल किये जाने की अनुमति दी थी।

2018 में दर्ज इसी तरह के एक दूसरे मुकदमा अपराध संख्या 86 में भी राहुल भूषण गौड़ के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है।

केस में सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता वीरेन्द्र कुमार ने बताया कि आज एडीजे ईसी एक्ट अदालत में 2017 में दर्ज मुकदमे के मामले में राहुल भूषण गौड़ की जमानत पर सुनवाई थी। पिछले दिनों ACJM-1 ने मामले की सुनवाई करते हुए राहुल भूषण गौड़ की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। जिसके बाद एडीजे ईसी एक्ट कोर्ट में अपील करने पर उसे अंतरिम जमानत मिल गई थी।

आज सुबह सुनवाई के वक्त राहुल भूषण गौड़ को हिरासत में लिया गया। बाद में उसकी जमानत याचिका रद्द किए जाने का आदेश अदालत ने पारित किया जिसके बाद उसे जेल भेज दिया गया है। 2018 में हुए अनाज की कालाबाजारी के मुकदमे में भी राहुल भूषण गौड़ की जमानत पर आगामी दिनों में सुनवाई होनी है। इस मामले में भी उसका जेल जाना तय है।

राहुल भूषण गौड़ संभागीय खाद्य नियंत्रक आफिस का भ्रष्टाचार के लिए बदनाम बाबू है। बीते 1 साल में वह 3 बार निलंबित हो चुका हैं और वर्तमान में भी निलंबित होकर गाजियाबाद ऑफिस से अटैच था। सितंबर 2022 में फूड कमिश्नर के आदेश पर उनका निलंबन किया गया था। नाटकीय घटनाक्रम में विभाग में बाबुओं की कमी का हवाला देकर उनको बहाली दी गई और फिर संभागीय खाद्य नियंत्रक ने उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल होने के बावजूद उन्हें प्रमोशन देकर वरिष्ठ सहायक बना दिय। इस मामले की जांच भी अभी जारी है।

IAS अफसरों का ऐसे चहेता बना भ्रष्ट बाबू
इतने आरोप और जांच में दोषी होने के बाद भी विभाग के अफसरों की आंखों में राहुल भूषण गौड़ ईमानदारी का पुतला था। मेरठ विकास प्राधिकरण के वीसी आईएएस मृदुल चौधरी ने आरएफसी रहते हुए एक भ्रष्टाचार के मामले में राहुल भूषण गौड़ का तबादला नोयडा कर दिया था। आरएफसी का आदेश ना मानते हुए गौड़ ने ज्वाइनिंग नही की जिसके बाद उसे सस्पैंड कर दिया गया। मृदुल चौधरी के तबादले के बाद आरएफसी का चार्ज अपर आयुक्त चैत्रा वी को मिला।

चैत्रा वी ने दरियादिली दिखाते हुए गौड़ को बहाल किया और उसे हैंडलिंग-ट्रांसपोर्ट जैसे महत्वपूर्ण पटल का चार्ज दे दिया। इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री और यूपी फूड कमिश्नर से की गयी। फूड कमिश्नर ने भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते गौड़ को निलंबित करके विभागीय कार्रवाई करने का आदेश दिया। इस आदेश को चैत्रा वी 20 दिन तक दबाये रही। शासन से पड़ी फटकार के बाद चैत्रा वी ने गौड़ को निलंबित करके विभागीय जांच शुरू कराई।

दो बार निलंबन के बाद भी मिला ‘दीवाली गिफ्ट’-
लेकिन दीवाली से ठीक पहले चैत्रा वी ने राहुल भूषण गौड़ को फिर से बहाल करते हुए उसे हैंडलिंग-ट्रांसपोर्ट का पटल दे दिया। अफसरों के बीच जबरदस्त पैठ के चलते चैत्रा वी के हटते ही गौड़ को प्रभारी आरएफसी कौशलदेव ने प्रमोशन दे दिया। उसके खिलाफ चल रही विभागीय जांचों में उसे क्लीनचिट भी दिलाई गयी। हैरत की बात यह थी कि फूड कमिश्नर के आदेश पर हुए निलंबन के बाद राहुल गौड़ के दोनो पुराने आपराधिक मामलों में पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी थी। चार्जशीट दाखिल होने के बाद नियमत: प्रमोशन नही दिया जा सकता लेकिन कौशलदेव ने यह कारनामा करते वक्त नियम से अपनी आंखें मूंद ली।

फूड कमिश्नर के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट गया गौड़-
एक बार फिर मुख्यमंत्री और फूड कमिश्नर के आफिस तक राहुल भूषण गौड़ का मामला पहुंचा। अब तक संभागीय खाद्य नियंत्रक का पद आईएएस अभिषेक पांडेय संभाल चुके थे। इसी दौरान शिकायतों और ढेरों जांचों के चलते फूड कमिश्नर ने राहुल भूषण गौड़ और दीपक वर्मा का तबादला बलिया कर दिया। लेकिन ज्वाइनिंग के बजाय दोनो बाबू विभाग के अफसरों के खिलाफ हाईकोर्ट चले गये और अफसरों पर उत्पीड़न के आरोप लगाये. आधारहीन याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके बाद दोनो बाबू गैरहाजिर हो गये।

ऐसे हुई फूड कमिश्नर के आदेश की नाफरमानी-
15 अप्रैल के बाद आरएफसी अभिषेक पांडेय पढ़ाई के लिए विदेश गये तो कौशलदेव फिर से प्रभारी आरएफसी बन गये। कौशलदेव ने नाटकीय ढंग से फूड कमिश्नर के आदेश का हवाला देते हुए दोनो बाबुओं को सस्पैंड किया और उन्हें गाजियाबाद अटैच कर दिया। प्रभारी आरएफसी ने यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश के दूरस्थ जिले में तैनाती से दोनो बाबुओं को बचाने के लिए की थी।

संभागीय अफसरों के लिए विभाग से पैसे उगाहने वाली मशीन-
हैंडलिंग-ट्रांसपोर्ट पटल पर बने रहते हुए राहुल भूषण गौड़ पूरे संभाग के ट्रांसपोर्ट ठेकेदारों और अफसरों से उगाही करता था। इस कार्य में संभागीय खाद्य नियंत्रक का उसे संरक्षण-प्राप्त था। नोयडा में एयरपोर्ट के उद्घाटन के दौरान बुलंदशहर की एक अफसर से उगाही का वायरल ऑडियो में उसका नाम आया था। लेकिन संभागीय खाद्य नियंत्रक ने उसके खिलाफ कार्रवाई ना करते हुए एक बाबू और एक महिला अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की।

ट्रांसपोर्ट फर्म में गौड़ की साझेदारी के किस्से-
हैंडलिंग-ट्रांसपोर्ट पटल पर गौड़ के बने रहने का एक कारण यह भी था कि मेरठ के तीन ट्रांसपोर्ट ठेकेदारों में से एक की फर्म में उसकी अदृश्य हिस्सेदारी थी। यहां से गौड़ को हर महीने लाखों रूपये की आमदनी होती थी। गौड़ के करीबी आरएफसी यह बात अच्छे से जानते थे। इस ठेकेदार को मेरठ और पास के जनपद में कई ब्लाकों में अनाज ट्रांसपोर्ट के ठेके मिले हुए है। दिल्ली से सटे जिले में तैनात “यादव” सरनेम का एक अफसर भी गौड़ के सिडिंकेट का बड़ा किरदार है।

पिछले दिनों मेरठ शहर में इस ठेकेदार के ट्रकों से सरकारी अनाज की दिनदहाड़े जुगाड़ वाहनों में कालाबाजारी होती पकड़ी गयी थी। लेकिन गौड़ के प्रभाव के चलते इस ठेकेदार को नोटिस तक जारी नही किया गया। सिंगल स्टेज योजना के नये नियमों और यूपी फूड कमिश्नर के आदेश के मुताबिक ऐसे मामलों में अनाज की कालाबाजारी के अन्तर्गत आपराधिक मामले में दर्ज किये जाने का प्रावधान है।

सौ करोड़ के टेंडरों का खुलेगा राज-
राहुल भूषण गौड़ और तत्कालीन आरएफसी के खिलाफ 100 करोड़ से ज्यादा के हैंडलिंग, ट्रांसपोर्ट टेंडर मामले में भी अनियमितता की जांच जारी है। यह टेंडर गौड़ ने हैंडलिंग-ट्रांसपोर्ट का प्रभारी रहते अपने चहेते आरएफसी के साथ मिलकर पिछले साल किए थे। गौड़ ने विभाग में रहते हुए अकूत दौलत कमाई है। उसके पास आय से अधिक सम्पत्ति है। इस मामले में भी विभाग और यूपी सरकार से उसकी शिकायत की गयी है।

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