साधू-संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत के मामले में जेल में बंद मुख्य आरोपी आनंद गिरि को आज इलाहाबाद की जिला अदालत से बड़ा झटका लगा है। स्पेशल कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी खारिज करते हुए उन्हें जेल से रिहा किये जाने का आदेश दिए जाने से इंकार कर दिया है। आनंद गिरि को जेल से बाहर आने के लिए अब हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा। अदालत ने यह फैसला सीबीआई द्वारा जमानत अर्जी का विरोध किये जाने और जांच प्रभावित होने की आशंका की दलीलों के आधार पर सुनाया है।
आनंद गिरि की जमानत अर्जी पर जिला अदालत में मृदुल मिश्र की स्पेशल कोर्ट में सुनवाई हुई। जमानत के लिए आनंद गिरि के वकीलों ने कथित खुदकुशी मामले में उनका कोई हाथ नहीं होने, उनके खिलाफ सीधे तौर पर कोई सबूत नहीं होने, भगवाधारी संत होने, अभी तक किसी भी मामले में सज़ा नहीं होने और जांच में हर तरह का सहयोग करने की दलील दी गई, जबकि सीबीआई की तरफ से आनंद गिरि की इस अर्जी का यह कहते हुए विरोध किया गया कि जमानत पर जेल से रिहा होने के बाद आनंद गिरि जांच को प्रभावित कर सकते हैं। गवाहों पर दबाव बना सकते हैं।
अदालत ने इसी आधार पर आनंद गिरि की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया। निचली अदालत से आनंद गिरि की तीसरी अर्जी खारिज हुई है। आनंद गिरि अपने गुरु महंत नरेंद्र गिरि की कथित खुदकुशी मामले में बाइस सितम्बर से जेल में हैं। मामले में अकेले आनंद गिरि के खिलाफ ही नामजद एफआईआर दर्ज हुई थी। हालांकि सुसाइड नोट में तीन लोगों के नाम का जिक्र था। आनंद गिरि की गिरफ्तारी हरिद्वार से हुई थी।
आनंद गिरि के वकील एडवोकेट विनीत विक्रम के मुताबिक़ जमानत के लिए अब जल्द ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की जाएगी। सीबीआई इस मामले में जल्द ही चार्जशीट दाखिल कर सकती है। हालांकि अब तक की जांच में सीबीआई किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है और सुसाइड नोट में लिखी बातों के आधार पर ही जांच को आगे बढ़ा रही है। जेल में बंद दो अन्य आरोपी आद्या तिवारी और संदीप तिवारी की जमानत अर्जी अभी सेशन कोर्ट में दाखिल होनी बाकी है।