प्रयागराज : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में यह स्पष्ट कर दिया है कि किसी व्यक्ति का अपमान या धमकी एसटी एक्ट के तहत अपराध तभी माना जाएगा जब तक की ऐसी टिप्पणी सार्वजनिक स्थान पर की गई हो.न्यायमूर्ति शमीम अहमद ने कहा कि किसी व्यक्ति पर एससी/एसटी अधिनियम की धारा 3(1)(एस) के तहत अपराध के लिए मुकदमा तभी चलाया जा सकता है, जब उसके द्वारा कही गई बातें किसी भी “सार्वजनिक ” स्थान पर की गई हों।
प्रयागराज
— भारत समाचार | Bharat Samachar (@bstvlive) December 25, 2023
➡एससी-एसटी मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
➡मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा
➡जाति का नाम लेकर मौखिक दुर्व्यवहार अपराध नहीं-HC
➡SC-ST के किसी सदस्य की जाति का नाम का मामला
➡घर के अंदर ऐसा नाम लेकर बोलना दुर्व्यवहार नहीं- HC
➡'किसी सार्वजनिक स्थान पर… pic.twitter.com/TBFdpFdRnX
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य की जाति का नाम लेकर मौखिक दुर्व्यवहार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (एससी/एसटी अधिनियम) के तहत अपराध नहीं होगा यदि ऐसी घटना उस घर के भीतर घटती है जहां कोई बाहरी व्यक्ति मौजूद नहीं होता है.