मोहन भागवत के समर्थन में आये ओपी राजभर, बोले- मैं संविधान को मानता हूं, रामचरितमानस पर दी ये प्रतिक्रिया ?

रामचरितमानस पर चल रहे सियासी बयान के बाद अब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने वर्ण और जाति और जाति व्यवस्था पर बयान देकर नई बहस छेड़ दी है। उनके द्वारा दिए गए बयान के बाद ब्राह्मणों में नाराजगी दिखनी शुरू हो गई। वहीं अब इस मामले में सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। भारत समाचार से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि हम मोहन भागवत के बयान से सहमत हैं और हम सभी धर्म ग्रंथों का सम्मान करते हैं। आगे उन्होंने कहा कि रामचरितमानस को लोग अपने अपने चश्मे से पढ़ रहे हैं। एक एक शब्द के कई कई मायने होते हैं। मैं बाबा साहब के संविधान को मानता हूं।

सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर कहा कि इस वक्त जो उत्तर प्रदेश की सियासत है उसमें शूद्र केंद्र बिंदु हो गया है हर आदमी कह रहा है कि हम शूद्र हैं अखिलेश यादव ने कहा हम शूद्र हैं पल्लवी पटेल ने कहा हम शूद्र हैं आप भी शूद्र हैं हम इंसान हैं हम इंसान हैं इस देश में बाबासाहब डॉक्टर अंबेडकर के संविधान से पूरा देश चल रहा है। संविधान में कहीं बाबासाहब डॉक्टर अंबेडकर ने शूद्र शब्द का जिक्र ही नहीं किया है। नेता जब चुने जाते है तबसंविधान की शपथ लेते हैं।

स्वामी पर वार करते हुए राजभर ने कहा कि जब ये सत्ता में रहे चार बार बहुजन समाज पार्टी की सरकार थी, मंत्री थे तब महिलाओं का अपमान रामचरित चौपाई नहीं दिखाई दी? पिछड़े दलित का अपमान नहीं दिखाई दिया? चार बार मिनिस्टर थे। फिर बसपा की सत्ता जाते देख फिर में चले गए। राम की शरण में जाकर के उसी रामचरितमानस की चौपाई पढ़ते रहे। और दोहराते रहे, माला फूल चढ़ाते रहे, अपनी बेटी को सांसद बना लिया, खुद मंत्री बन गए। पांच साल वहां भी नहीं बात याद आई।

स्वामी के बयान पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि जो बयान दे रहे हैं शूद्र हैं पल्लवी पटेल शूद्र बता रही हैं अखिलेश यादव ने भी कहा कि शूद्र समझते हैं इसलिए जो है वो गंगाजल से धुलवाया गया पाँच कालिदास मार्ग को तो ये बयान अब दिए जा रहे हैं इस तरह के यही तो हम भी जानना चाह रहे हैं और इन बयानों से क्या मायने निकाले जाने चाहिए? कोई मायने नहीं है अगर ये सत्ता में थे तो ये उस चौपाई को निकालने की कवायत क्यों नहीं की है? बाबासाहब डॉक्टर अम्बेडकर ने संविधान के पहले पन्ने पे लिखा है समता स्वतंत्रता बंधुत्व और न्याय पर आधारित भारतीय संविधान तो आप उसके लिए क्यों नहीं लड़ते हो।

विपक्ष के नेताओं और सरकार से सवाल करते हुए ओपी राजभर ने कहा कि देश में बेरोजगारी चरम पे बढ़ती जा रही है वो कैसे कम हो इस पे क्यों नहीं लड़ते हो जातिवाद जनगणना के लिए आंदोलन क्यों नहीं करते हो एक समान फ्री शिक्षा के लिए आंदोलन क्यों नहीं करते हो? देश में लाखों करोड़ रुपया अमीरों के कर्जे माफ़ हो रहे हैं तो किसानों के कर्जे घरेलु बिजली के बिल इनको भी डिफाल्टर घोषित करके जिस तरह अमीरों के डिफाल्टर घोषित हो रहे हैं उसी तरह इन गरीब, कमजोर लोगों को भी जो किसानों को भी डिफाल्टर घोषित करके इनके भी कर्जे माफ करने का आंदोलन क्यों नहीं करते हो? एक गरीबों के इलाज फ्री करने के लिए आंदोलन क्यों नहीं करते हो?

आरक्षण पर विपक्ष को घेरा

आरक्षण पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि जब देश में 27% आरक्षण पिछड़ों को मिलता है तो चाहे अखिलेश यादव, स्वामी या पल्लवी जी हों। किसी की जुबान से मैंने ये नहीं सुना कि सत्ताईस 27% आरक्षण लोकसभा, विधानसभा में भी होना चाहिए। आधी आबादी महिलाओं की है, तो 50% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होनी चाहिए। ये पल्लवी पटेल को बोलना चाहिए। इन सब के लिए अगर कोई बोल रहा है तो ओम प्रकाश राजभर महिला सम्मलेन महिला हक अधिकार महारैली करके उनको जगा रहा हूँ कि जागो तभी सवेरा है। मैं उनको कह रहा हूँ कि आप में वो ताकत है कि जब चलती से आप टकरा सकती हैं तो आप अपने हक़ के लिए खाली जिस दिन खड़ी हो जाएंगी तो निश्चित है कि आपको आधी आबादी आधा हिस्सा चाहे नौकरी हो, चाहे शिक्षा हो, चाहे स्वास्थ्य हो, चाहे राजनीत हो, आधा हिस्सा मिलेगा।

रामचरितमानस विवाद पर क्या बोले राजभर ?

ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि सभी धर्मों पे विश्वास रखते हैं। जो बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर का संविधान कहता है, हम संविधान के दायरे में सभी धर्मों पर विश्वास करते हैं।

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