नवाब मलिक और सत्येंद्र जैन को बर्खास्त करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल

सुप्रीम कोर्ट में यकचिका दाखिल कर दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मालिक को पद से बर्खास्त करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हुई है। सुप्रीम कोर्ट में BJP नेता और वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय ने वकील अश्वनी कुमार दुबे के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल किया है। याचिका में कहा किसी मंत्री को 2 दिनों की न्यायिक हिरासत में रहने के बाद पद से हटा देना चाहिए जैसे IAS, IPS जज और दूसरे सरकारी कर्मचारियों के साथ होता है।

सुप्रीम कोर्ट में यकचिका दाखिल कर दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मालिक को पद से बर्खास्त करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हुई है। सुप्रीम कोर्ट में BJP नेता और वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय ने  वकील अश्वनी कुमार दुबे के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल किया है। याचिका में कहा किसी मंत्री को 2 दिनों की न्यायिक हिरासत में रहने के बाद पद से हटा देना चाहिए जैसे IAS, IPS जज और दूसरे सरकारी कर्मचारियों के साथ होता है।

सुप्रीम कोर्ट ने दाखिल याचिका में कहा कि एक मंत्री केवल जनता का सेवक ही नहीं,  विधि निर्माता होता है और संविधान के शेड्यूल 3 के तहत पद की शपथ लेता है। याचिका में कहा कि जज और कलेक्टर ही नहीं बल्कि संतरी अगर 2 दिन के जेल जाता है तो उसे बर्खास्त कर दिया जाता है, लेकिन मंत्री अपने पद पर बने रहते हैं। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मालिक को पद से बर्खास्त करने का महाराष्ट्र सरकार को निर्देश मांग की गई। याचिका में दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को पद से बर्खास्त करने का निर्देश दिल्ली सरकार को देने की मांग की है। याचिका में कहा गया  कि कोर्ट ने दोनों की जमानत अर्जी खारिज कर दी है, लेकिन दोनों मंत्री आज तक संवैधानिक पद पर हैं। याचिका में कहा कि नवाब मालिक बेनामी संपत्ति, मनी लांड्रिंग और काले धन से जुड़े मामले में 23 फरवरी 2022 से जेल में है। वहीं याचिका में कहा कि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन भी ब्लैक मनी और मनी लांड्रिंग मामले में 31 मई 2022 से न्यायिक हिरासत में है। याचिका में संविधान के अनुच्छेद 101,102 , 104 का हवाला दिया गया हैं।

याचिकाकर्ता ने मांग किया कि वैकल्पिक रूप से, संविधान का संरक्षक होने के नाते, भारत के विधि आयोग को विकसित देशों के चुनाव कानूनों की जांच करने और अनुच्छेद 14 की भावना में मंत्रियों, विधायकों और लोक सेवकों के पद के सम्मान को बनाए रखने के लिए एक व्यापक रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया जाए। याचिका में कहा कि लोक सेवकों के विपरीत, नवाब मलिक और सत्येंद्र जैन जैसे मंत्री लंबे समय तक न्यायिक हिरासत में रहते हुए भी संवैधानिक स्थिति का पर बने हुए है, यह अनुच्छेद 14 के विपरीत है। याचिका में कहा कि विधायक या सांसद को सदन उपस्थित रहना होता है। अगर वह 60 दिनों तक बैठक से अनुपस्थित रहता है तो उसे अयोग्य ठहराया जा सकता है।

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