
भारत में चुनावों के दौरान, चाहे वह विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव, मतदान के बाद प्रत्येक मतदाता की उंगली पर एक खास प्रकार की स्याही लगाई जाती है। यह स्याही, जिसे “इंडेलिबल इंक” कहा जाता है, यह सुनिश्चित करती है कि एक व्यक्ति ने केवल एक बार वोट डाला है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस स्याही में ऐसा कौन सा रसायन होता है जो इसे जल्दी नहीं हटने देता? तो आइए हम आपको इस बारे में विस्तार से बताएंगे।
चुनावी स्याही क्यों लगाई जाती है?
चुनाव आयोग द्वारा मतदान केंद्रों पर मतदान के बाद उंगलियों पर स्याही लगाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि यह पुष्टि हो सके कि मतदाता ने अपना वोट डाला है। इसके साथ ही, यह एक अहम सुरक्षा उपाय है, ताकि कोई व्यक्ति दो बार मतदान का उपयोग न कर सके। यही कारण है कि यह स्याही इतनी प्रभावी होती है कि एक बार लगने के बाद यह जल्दी नहीं मिटती। इसे ही “इंडेलिबल इंक” कहा जाता है।
चुनावी स्याही में कौन सा केमिकल होता है?
अब सवाल यह उठता है कि आखिरकार इस स्याही में ऐसा कौन सा रसायन होता है, जो इसे इतनी स्थायी बना देता है। दरअसल, चुनावी स्याही में सिल्वर नाइट्रेट (Silver Nitrate) नामक रसायन का उपयोग किया जाता है। यह रसायन पानी के संपर्क में आने पर काले रंग में बदलता है और त्वचा पर एक स्थायी निशान छोड़ता है।
जब चुनाव अधिकारी मतदान के बाद मतदाता की उंगली पर यह नीली स्याही लगाते हैं, तो सिल्वर नाइट्रेट शरीर में मौजूद नमक (Salt) के साथ मिलकर सिल्वर क्लोराइड (Silver Chloride) बनाता है। यह रासायनिक प्रक्रिया काले रंग को उत्पन्न करती है और सिल्वर क्लोराइड पानी में घुलता नहीं है, इसलिए यह त्वचा पर स्थायी रूप से बना रहता है। इसके अलावा, रोशनी के संपर्क में आने पर यह निशान और गहरा हो जाता है, जो इसे और भी दृढ़ बना देता है।
चुनावी स्याही की खासियत
चुनाव आयोग की स्याही इतनी दमदार होती है कि यह सिर्फ एक सेकंड में ही उंगली पर अपना निशान छोड़ देती है। इसके अलावा, इसमें एल्कोहल की उपस्थिति के कारण, यह स्याही 40 सेकंड के अंदर सूख जाती है। यही कारण है कि मतदान के बाद मतदाता की उंगली पर यह स्याही तुरंत स्थायी निशान छोड़ देती है, और चुनावी प्रक्रिया में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण बन जाती है।
भारत से दुनियाभर में सप्लाई
भारत में बनने वाली यह खास चुनावी स्याही केवल भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के 30 से अधिक देशों में इस्तेमाल की जाती है। भारत में मैसूर पेंट एंड वार्निश लिमिटेड (Mysore Paint and Varnish Ltd.) द्वारा इस खास स्याही का निर्माण किया जाता है और यह स्याही 25 से अधिक देशों में निर्यात की जाती है। इनमें कनाडा, घाना, नाइजीरिया, मंगोलिया, मलेशिया, नेपाल, दक्षिण अफ्रीका, और मालदीव जैसे देश शामिल हैं।
चुनाव में इस्तेमाल होने वाली यह स्याही ना सिर्फ भारतीय चुनावों को सुरक्षित और निष्पक्ष बनाती है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण रासायनिक प्रक्रिया का परिणाम है, जिसे सिल्वर नाइट्रेट के उपयोग से स्थायी बनाया जाता है। यह स्याही केवल भारत में नहीं, बल्कि दुनियाभर के विभिन्न देशों में भी उपयोग होती है, जिससे यह साबित होता है कि भारत का यह चुनावी उपाय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण है।