सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश – तीन महीने के अंदर सभी राज्य, UT और हाईकोर्ट स्थापित करें ऑनलाइन RTI पोर्टल

शनिवार को भारत के मुख्य न्यायधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ सुचना का अधिकार से जुड़े एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी. यह याचिका प्रवासी लीगल सेल द्वारा दायर की गई थी जिसका प्रतिनिधित्व वकील जोस अब्राहम कर रहे थे.

शनिवार को देश की सर्वोच्च अदालत ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सूचना का अधिकार को लेकर अहम निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अगले तीन महीनों के अंदर ऑनलाइन सूचना का अधिकार (RTI) पोर्टल स्थापित करने और संचालित करने का निर्देश दिया है. शीर्ष न्यायालय ने शासन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए यह निर्देश जारी किया हैं.

कोर्ट ने राज्य उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरलों को अपने संबंधित उच्च न्यायालयों और जिला अदालतों में ऑनलाइन आरटीआई पोर्टल स्थापित करने और चलाने के लिए तीन महीने का समय दिया है. शनिवार को भारत के मुख्य न्यायधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ सुचना का अधिकार से जुड़े एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी. यह याचिका प्रवासी लीगल सेल द्वारा दायर की गई थी जिसका प्रतिनिधित्व वकील जोस अब्राहम कर रहे थे.

अब्राहम ने तर्क दिया कि सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 6(1) निर्धारित करती है कि एक सूचना चाहने वाले को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से आवेदन करने का वैधानिक अधिकार है. हालांकि, कई उच्च न्यायालय और अधिकांश जिला अदालतें केवल भौतिक आरटीआई आवेदनों पर ही विचार करती हैं.

शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि “भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में सूचना की आपूर्ति के लिए अनुरोधों को सुगम बनाने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल की स्थापना की है. ऑनलाइन सुविधाएं अधिनियम की उद्देश्यों की पूर्ति में काफी सुविधा प्रदान करेंगी. हालांकि RTI Act को अक्टूबर 2005 में अधिनियमित किया गया था. 17 वर्षों के अंतराल के बाद, ऑनलाइन वेब पोर्टल अभी भी कुछ उच्च न्यायालयों द्वारा चालू किए जाने हैं.”

खंडपीठ ने कहा कि मध्य प्रदेश, ओडिशा और दिल्ली जैसे कुछ उच्च न्यायालयों ने ऑनलाइन आरटीआई पोर्टल स्थापित किए हैं. कर्नाटक उच्च न्यायालय राज्य सरकार द्वारा स्थापित वेब पोर्टल का उपयोग करता है.

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