सुप्रीम कोर्ट ने दिया सुझाव कहा धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात को समझने के लिए दिया जाना चाहिए प्रशिक्षण

एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया है कि देश भर के पुलिस अधिकारियों को धोखाधड़ी 420 आईपीसी और आपराधिक विश्वासघात 406 आईपीसी के अपराधों के बीच के सूक्ष्म अंतर को समझने के लिए कानून का उचित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया है कि देश भर के पुलिस अधिकारियों को धोखाधड़ी 420 आईपीसी और आपराधिक विश्वासघात 406 आईपीसी के अपराधों के बीच के सूक्ष्म अंतर को समझने के लिए कानून का उचित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा है कि अब समय आ गया है कि देश भर के पुलिस अधिकारियों को कानून का उचित प्रशिक्षण दिया जाए ताकि वे धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात के अपराध के बीच के बारीक अंतर को समझ सकें। दोनों अपराध स्वतंत्र और अलग हैं। दोनों अपराध एक ही तथ्यों के आधार पर एक साथ नहीं रह सकते। वे एक दूसरे के विरोधी हैं। आईपीसी के दो प्रावधान जुड़वां नहीं हैं कि वे एक दूसरे के बिना जीवित नहीं रह सकते!”आपराधिक विश्वासघात और धोखाधड़ी के बीच अंतर है। धोखाधड़ी के लिए, गलत या भ्रामक प्रतिनिधित्व करने के समय यानी शुरुआत से ही आपराधिक इरादा होना आवश्यक है। आपराधिक विश्वासघात में, सौंपे जाने का केवल सबूत ही पर्याप्त है। इस प्रकार, आपराधिक विश्वासघात के मामले में, अपराधी को कानूनी रूप से संपत्ति सौंपी जाती है, और वह बेईमानी से उसका दुरुपयोग करता है। जबकि, धोखाधड़ी के मामले में, अपराधी धोखाधड़ी या बेईमानी से किसी व्यक्ति को धोखा देकर किसी भी संपत्ति को सौंपने के लिए प्रेरित करता है। ऐसी स्थिति में, दोनों अपराध एक साथ नहीं हो सकते न्यायालय ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि इस निर्णय की एक-एक प्रति भारत संघ के विधि एवं न्याय मंत्रालय के प्रधान सचिव तथा भारत संघ के गृह विभाग के प्रधान सचिव को भी भेजी जाए।”

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