
रामचरितमानस की एक चौपाई को लेकर शुरू हुआ विवाद शांत होने का नाम नहींं ले रहा है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और सपा MLC स्वामी प्रसाद मौर्या एक के बाद एक ट्वीट और प्रेस कांफ्रेंस करके अपनी बात रख रहे हैं। शनिवार को स्वामी प्रसाद मौर्या ने ट्वीट करते हुए कहा कि कदम-कदम पर जातीय अपमान की पीड़ा से व्यथित होकर ही डॉ. अम्बेडकर ने कहा था कि ‘मैं हिंदू धर्म में पैदा हुआ यह मेरे बस में नहीं था, किंतु मैं हिंदू होकर नहीं मरूंगा, ये मेरे बस में है।’ फलस्वरूप सन 1956 में नागपुर दीक्षाभूमि पर 10 लाख लोगों के साथ बौद्ध धर्म स्वीकार किया।
स्वामी प्रसाद मौर्या ने अपने ट्वीट में आगे कहा कि तत्कालीन उपप्रधानमंत्री, बाबू जगजीवन राम द्वारा उद्घाटित संपूर्णानंद मूर्ति का गंगा जल से धोना, तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के रिक्तोपरांत मुख्यमंत्री आवास को गोमूत्र से धोना व राष्ट्रपति कोविंद को सीकर ब्रह्मामंदिर में प्रवेश न देना शूद्र होने का अपमान नहीं तो क्या?
इससे पहले शुक्रवार को भी स्वामी प्रसाद मौर्या ने एक ट्वीट करते हुए कहा था कि देश की समस्त महिलायें व शूद्र समाज यानि आदिवासी, दलित, पिछड़े, जो सभी हिंदू धर्मावलंबी ही हैं तथा जिनकी कुल आबादी 97% है, को तो अपमानित किया ही जा रहा है। गौमांस खाने वालों को हिंदू बनाकर उन्हें भी अपमानित करने का इरादा है क्या?
शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस के दौरान स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि संविधान ही सबसे बड़ा धर्म है, भारतीय संविधान पूज्य है, सबसे बड़ा धर्म ग्रन्थ संविधान है।उन्होंने कहा कि बाबा साहब ने बौद्ध धर्म स्वीकार किया था। शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस के दौरान स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा पर भी जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की जाति को लेकर उनका अपमान किया। उन्होंने भाजपा पर जाति के आधार पर भेदभाव का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर दुनिया के सबसे बड़े विद्वान थे. बावजूद इसके केवल जाति के आधार पर उनसे भेदभाव किया जाता था।