ग्वालियर पहुंचे द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती, बोले- देश में आज राम- राज्य की मांग

द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने सनातन धर्म की वकालत करते हुये कहा कि विदेशी आक्रांताओं के हमलों के बाद भी सनातन धर्म अडिग खडा

ग्वालियर. द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने सनातन धर्म की वकालत करते हुये कहा कि विदेशी आक्रांताओं के हमलों के बाद भी सनातन धर्म अडिग खडा है. उस परंपरा को समाप्त नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि देश में अब राम राज्य की मांग होना चाहिये.

द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती आज यहां अपने प्रवास के दौरान पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे. शंकराचार्य से यह पूछे जाने पर कि देश में इन दिनों कथाएं अधिक हो रहीं हैं के उत्तर में स्वामी सदानंद सरस्वती ने कहा कि कथा वाचक भी धर्म का ही प्रचार प्रसार कर रहे हैं. वह भी शंकराचार्य , आचार्य के शिष्य ही है. उन्होने कहा कि विभिन्न रूपों में धर्म का प्रचार प्रसार हजारों सालों से होता रहा है. उन्होंने कहा कि एक बार ऐसा लगा था कि हिन्दुत्व लुप्त हो रहा है. और लोग भी वेद को प्रमाण रूप में नहीं मानने लगे थे, लेकिन उसके बाद से सनातन के धर्म रक्षकों ने कमर कसकर लोगों को बताया कि वेद ही प्रमाण हैं.

कथा वाचक धीरेन्द्र शास्त्री द्वारा सनातन को बढावा देने के बारे में स्वामी जी ने कहा कि वह भी सनातन धर्म का ही प्रमाण दे रहे हैं. एक प्रश्र के उत्तर में स्वामी सदानंद सरस्वती ने कहा कि बाकी धर्म की बात की जाए तो उसकी तिथि आदि लोग बता देते हैं. कोई सनातन की तिथि बताए वह तो वर्षो से है. कई नेताओं द्वारा हिन्दु राष्ट्र बनाये जाने की बात कहे जाने के बारे में पूछे जाने पर स्वामी जी ने कहा कि हिन्दु राष्ट्र का प्रारूप क्या है. पहले यह बताया जाए उसके बाद कुछ कहा जाए उन्होंने जोड़ा कि देश में अब राम राज्य की मांग है. उसी में सब समाहित हो जायेगा.

कुछ नेताओं द्वारा रामायण को जलाए जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह लोग अज्ञानी है. उन्होंने ना तो हिन्दु ग्रंथ नहीं पढा है और ना ही कहीं और से उसका अध्ययन किया है. उन्होंने कहा कि अन्य अन्य धर्म सनातन धर्म के बाद ही आए हैं. उन्होंनेकहा कि नेताओं की योग्यता क्या है आप सब जानते हैं. उन्हें तो बस वोट देकर बैठा दिया गया है. उनके पास ना अनुभव है. उन्होंने कहा कि हां राजनैतिक नेताओं का कोई पैमाना हो के बारे में पूछे जाने पर स्वामी जी ने कहा कि नेताओं के पास कुछ गुणवत्ता होना चाहिऐ. उन्हें धर्म शास्त्र राजनीति कूटनीति प्रजा संचालन का ज्ञान हो या अध्ययन किया हो.

शंकराचार्य से यह पूछे जाने पर कि कि इसके लिए समाज को क्या संदेश देंगे तो उन्होने कहा कि समाज के लोग सब समझ गये हैं. हनुमान जयंती को जन्मोत्सव कहे जाने की बातें सामने अपने के पूछे प्रश्र के उत्तर में स्वामी सदानंद सरस्वती ने कहा कि उसे जयंती भी कहा जा सकता है. उन्होंने कहा कि रामायण में तो कई भाषाओं का समागम है उसमें हिन्दी , अवधी, व्रज, भोजपुरी आदि भाषाएं शामिल हैं. उन्होंने यह भी कहा कि ताडना जिसे लेकर कुछ लोग बावेला मचा रहे हैं उसका अर्थ है देखना, नियंत्रण करना, कई जगह गांवों में कहा जाता है कि हमने तुम्हें ताड लिया था. इसे समझना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि लोग सबल पर ही आक्रमण करते हैं. जो लोग सनातन की बात करते हैं.

धीरेन्द्र शास्त्री द्वारा सांई बाबा के बारे में कहे जाने पर कि वह संत हो सकते हैं, भगवान नहीं तथा स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज भी सांई बाबा के विरोध में कहते रहे हैं, के बारे में उन्होंने कहा कि इस बारे में पहले ही बहुत कुछ कहा जा चुका है. धीरेन्द्र शास्त्री द्वारा पर्चा लिखकर चमत्कार दिखाने के बारे में पूछे जाने पर स्वामी सदानंद सरस्वती ने कहा कि भारत चमत्कारों का ही देश रहा है. मनुष्य बन जाना भी चमत्कार है. उन्होने कहा कि एक व्यक्ति के चार बेटे है उनमें अलग अलग योग्यता होती है. उन्होंने यह भी कहा कि आज देश में प्रत्येक व्यक्ति दुखी है. वह दुख दूर करने के लिए यहां वहां दौडता है.

उन्होंने कहा कि व्यक्ति को अत्यधिक दुख है और वह अत्यधिक सुख की प्राप्ति चाहता है. देश के लोग विदेशों में जाकर पश्चिमी संस्कृति से ओत प्रोत हो रहे हैं कि बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पश्चिमी सभ्यता का प्रवेश देश में नहीं होना चाहिये. लोग वहां पैसा कमाने तो जायें लेकिन अपनी संस्कृति सभ्यता परंपराओं को नहीं भूलना चाहिये. उन्होंने कहा कि देश पर मुगलों , अंग्रेजों का शासन रहा लेकिन भारत की संस्कृति सनातन धर्म कभी नष्ट नहीं हुआ.

शिक्षा में से आजादी के नायकों के पाठ को हटाने , धर्म की शिक्षा जोडने के बारे में पूछे जाने पर स्वामी सदानंद सरस्वती ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम मे भाग लेने वालों का सम्मान होना चाहिये. उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति में परिवर्तन हो. उन्होंने कहा कि संविधान की धारा ३० ए हटा दीजिए फिर संस्कृति की रक्षा कोई मसला नहीं होगा. भारत विश्व गुरू बनेगा कि नहीं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि भारत विश्व गुरू था , है बस घोषित नहीं है. पत्रकार वार्ता में देवेन्द्र शर्मा, रजनीश शर्मा, सूर्यकांत शर्मा उनके परिजन विशेष रूप से मौजूद रहे.

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