ध्वस्त पुल हादसे को दे रहा दवात, जान जोखिम में डाल पार कर रहें नदी, आने जाने को मजबूर लोग

गुजरात के मोरबी पुल हादसे की तस्वीर अभी तक लोगों के जहन से उतर नहीं पाया है तो वहीं देशभर के तमाम ध्वस्त हुए फूलों की तस्वीर सामने आने लगी है।

रिपोर्ट- रोहित सिंह

डेस्क: गुजरात के मोरबी पुल हादसे की तस्वीर अभी तक लोगों के जहन से उतर नहीं पाया है तो वहीं देशभर के तमाम ध्वस्त हुए फूलों की तस्वीर सामने आने लगी है। ऐसा ही नजारा कुछ वाराणसी का है जहां पर ध्वस्त पुल से ग्रामीण आने जाने के लिए मजबूर है और हादसे को दावत देते हुए नजर आ रहे हैं। वाराणसी के दनियालपुर गांव में जहां वरुणा नदी को पार करने के लिए ग्रामीणों ने खुद से पुल बना रखा है ,जो ध्वस्त होने के बाद बेहद ही खतरनाक हो गया है लेकिन उसके बावजूद लोग इससे आते – जाते नजर आ रहे है और बड़े हादसे को दावत दे रहे है।

वाराणसी के वरुणा नदी पर ग्रामीण खुद से बनाए धवस्त पुल से आते – जाते हैं। वाराणसी के दनियालपुर जहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग खतरनाक पुल से होकर गुजरते है। ग्रामीणों ने बताया की वह इस खतरनाक पुल से आने जान के लिए मजबूर है क्योंकि उनके पास और कोई रास्ता ही नही है। दूसरा रास्ता नदी पार करने के लिए 6 से 7 किलोमीटर की दूरी पर है। बच्चे , बूढ़े हो या नौजवान हर तबके के लोग इस खतरनाक पुल से आते जाते है। ग्रामीणों ने बताया कि नदी को पार करने के लिए पुल बनावने की मांग कई वर्षो से की जा रही है लेकिन अधिकारी इस मांग की सुध नहीं लेते ऐसे में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।

वरुणा नदी पर बने इस पुल को देख हर कोई हैरान है की जान जोखिम में डालकर लोग कैसे नदी को पार कर रहे है। लेकिन इस खतरनाक पुल की सुध अधिकारी नही ले रहे है। ऐसे में इस खतरनाक पुल से गुजरने वाली छात्राएं भी जब भारत समाचार की टीम से मिली तो वह अधिकारियो से गुहार लगाती हुई नजर आई। छात्राओं ने बताया की वह स्कूल जाने के लिए इस पुल से प्रतिदिन आती जाती है क्योंकि यदि वह दूसरे रास्ते से जाती है तो उन्हें पैदल करीब 7 किलोमीटर जाना पड़ेगा। ऐसे में वह मजबूर है और इस खतरनाक पुल से डरते सहमते हुए आती जाती है।

वाराणसी के दनियालपुर के ग्रामीण इस खतरनाक पुल से आने जाने के लिए मजबूर तो है लेकिन अधिकारी इसकी सुध नहीं ले रहे हैं ऐसे में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। ऐसे में अब देखना यही है कि कब अधिकारी इन ग्रामीणों की गुहार को सुनते हैं और उनके लिए नदी पार करने के लिए पुल की व्यवस्था करते हैं। जिससे ग्रामीण इस खतरनाक पुल से होकर आने जाने के लिए मजबूर ना हो सके।

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