कोरोना से होने वाली मौत पर उनके परिजनों को मुआवजा देने के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों द्वारा कोरोना से मौत के फर्जी सर्टिफिकेट जारी किए जाने पर चिंता जताई। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस एम आर शाह ने कहा कि कुछ डॉक्टर फर्जी सर्टिफिकेट बना रहे हैं, यह बेहद गंभीर मामला है। सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि वह फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर मुआवज़ा लेने के मामले में स्वतंत्र जांच करा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में पक्षकारों से फर्जी प्रमाणपत्र को रोकने के लिए सुझाव मांगा है। सुप्रीम कोर्ट में मामले की 14 मार्च को अगली सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना से मौत के फर्जी सर्टिफिकेट जारी होने पर कहा कि यह किसी वास्तविक हकदार का अवसर छीन सकता है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि कोरोना से मौत पर सभी राज्यों में मुआवज़ा दिया जा रहा है लेकिन डॉक्टरों द्वारा फर्जी सर्टिफिकेट जारी करने की समस्या भी सामने आई है।
सॉलिसिटर जनरल ने मुआवज़ा लेने वाले आवेदकों के लिए समय सीमा तय करने का निर्देश जारी करने की मांग की। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुझाव दिया कि कोर्ट ने आदेश दिया था कि मुआवज़े के लिए RTPCR टेस्ट की रिपोर्ट ज़रूरी नहीं है इसको मुआवज़े के लिए आवेदन के समय आवश्यक किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने सहमति जताते हुए कहा कि आवेदन के लिए कुछ समय सीमा होनी चहिए नहीं तो यह प्रक्रिया 5-6 साल तक चलती रहेगी।