सोनभद्र. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से 200 किलोमीटर दूर झारखंड और छत्तीसगढ़ के सीमा से सटे उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के 11 गांव के लिए यह विधानसभा चुनाव आखिरी चुनाव होगा। इन गांव के लोग चुनाव को लेकर बिल्कुल खामोश है। उनका आरोप है कि उनके संघर्ष में किसी पार्टी के नेताओं ने उनकी मदद नहीं की। 2017 विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में सबसे अधिक 18498 लोगों ने नोटा का प्रयोग किया था। जिसमे अधिकांश नोटा का प्रयोग डूब क्षेत्र के लोगों ने किया था, आपको बता दें कि अगले साल जून 2023 तक सिंचाई के लिए बन रहे कनहर डैम के कारण यह इलाका डूब जाएगा और 11 गावँ हमेशा के लिए सोनभद्र जिले के मानचित्र से विलुप्त हो जाएंगे ।
जून 2023 तक जनपद के अमवार गांव में पागंन नदी और कनहर नदी के संगम पर चार दशक से बन रहे 27 सौ करोड़ की लागत से बनने वाला कनहर डैम बनकर तैयार हो जाएगा । तब सिन्दूरी, भिसूर ,कोरची गांव सहित 11 गांव बांध के पानी मे डूब जाएंगे। कनहर सिंचाई परियोजना के मुख्य बांध का काम 80% से अधिक हो चुका है। जून 2023 में बरसात से पहले इस मुख्य बांध में पानी रोकने की योजना है।
कनहर बांध से विस्थापित क्षेत्र के लोग 7 मार्च को आखरी बार अपने घरों से वोट डालने निकलेंगे। 62 वर्षीय फूल कुंवर देवी कनहर सिंचाई परियोजना के कारण डूबने वाले पहले गांव सुंदरी गांव की रहने वाली हैं। बांध के कारण फुल कवर का 20 बीघा जमीन डूब जाएगा । फूल कुंवर का अपनी पुश्तैनी जमीन छोड़कर जाने के लिए भी तैयार हैं लेकिन मुआवजा को लेकर वह काफी नाराज हैं।
कनहर सिंचाई परियोजना के कारण डूबने वाले 11गांव में एक अजीब सी खामोशी है। चुनाव को लेकर यहां कोई भी चर्चा ही नहीं करना चाहता। डूब क्षेत्र के कोरची गांव के 32 वर्षीय पंकज कुमार गौतम कई वर्षों से विस्थापितों को मुआवजा दिलाने को लेकर संघर्ष करते आ रहे हैं ।पंकज कहते हैं कि संघर्ष के दिनों में कोई भी जनप्रतिनिधि ने उन लोगों का साथ नहीं दिया। इसलिए इस बार चुनाव में एकजुट होकर पूरे विस्थापित लोग मतदान करेंगे।
कनहर बांध के लिए 1976 से लेकर 1982 तक जब सरकार ने यहां की जमीने ली थी और मुआवजा भी दिया था तब लोग अपने घरों से नहीं निकले क्योंकि 1984 में बांध का काम बंद हो गया । अब जब 40 वर्षों के बाद कनहर बांध का काम पुनः शुरू हुआ है ।तब यहां के लोग नए भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के तहत मुआवजा की मांग कर रहे हैं।
सरकार कहती है कि मुआवजे को लेकर कोई भी संशोधन नहीं होगा । लेकिन प्रत्येक परिवार के 3 पीढी को ₹700000 और आवासीय भूमि दी जाएगी । 27 करोड़ की परियोजना आज बढ़कर 27 सौ करोड़ पार कर गई है । परेशानी इस बात का है कि 1976 में 14 सौ परिवार को मुआवजा दिया गया था लेकिन आज 10000 परिवार इसकी मांग कर रहे हैं जिसे सरकार नहीं मान रही है इसको लेकर लोगों में आक्रोश है।
कनहर बांध से भले ही 11 गांव डूब जाएंगे । लेकिन इस बांध के बनने से दुध्दी और रॉबर्ट्सगंज तहसील के 200 से अधिक गांव के 27 हजार एकड़ भूमि को सिंचाई की सुविधा मिलेगी । 07 मार्च को ये लोग आखरी बार अपने पुश्तैनी घरों से मतदान करने के लिए निकलेगे । जून 2022 में जब बांध में जलभराव शुरू होगा इसके साथ ही सोनभद्र जनपद के मानचित्र के यह सभी 11 गांव हमेशा के लिए विलुप्त हो जाएंगे और इन गांव से जुड़े किस्से कहानियां हमेशा के लिए इतिहास बन जाएंगे ।