Union Budget 2023-24 : ये शब्दावलियां आपकी बजट की समझ को बनाएंगी आसान, जानें, बजट से जुड़े हर बिंदु का मतलब

आमतौर पर बजट को लेकर एक आम आदमी की समझ उतनी व्यापक नहीं होती. ऐसे कई बिंदु होते हैं जिसकी समझ ना होने से बजट को परिभाषित कर पाना बहुत मुश्किल होता है. ऐसे में जरुरी है कि सबसे पहले उन शब्दावलियों का मतलब जाना जाए.

बुधवार 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपने कार्यकाल का 5 वां बजट पेश करेंगी. आमतौर पर बजट को लेकर एक आम आदमी की समझ उतनी व्यापक नहीं होती. ऐसे कई बिंदु होते हैं जिसकी समझ ना होने से बजट को परिभाषित कर पाना बहुत मुश्किल होता है. ऐसे में जरुरी है कि सबसे पहले उन शब्दावलियों का मतलब जाना जाए.

आज जानेंगे उन शब्दावलियों के बारे में जो बजट को बेहतर तरीके से समझने में आपकी मदद करेंगे.

  • इनकम टैक्स स्लैब (Income Tax Slab) – इनकम टैक्स स्लैब दरअसल, अलग-अलग आयकर दाताओं की उनकी कमाई के आधार पर सरकार द्वारा वसूले जाने वाले कर का एक वाणिज्यिक गणना होती है. इसके तहत सरकार द्वारा कर की दर निर्धारित की जाती है और एक निश्चित धनराशि में वार्षिक आधार पर इस दर को जोड़ कर आयकरदाता से टैक्स वसूला जाता है.

  • GDP– सकल घरेलू उत्पाद या GDP एक विशिष्ट अवधि में देश के भीतर उत्पादित सभी तैयार वस्तुओं और सेवाओं का कुल बाजार मूल्य होती है. अधिकांश देशों में, जीडीपी आर्थिक स्थिति को मापने का मानक है. जीडीपी की गणना वार्षिक या त्रैमासिक आधार पर की जा सकती है. भारत में, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा संचालित एजेंसियों दोनों से डेटा एकत्र करके देश के सकल घरेलू उत्पाद की गणना करता है.

  • प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर (Direct And Indirect Tax) – कर सरकार की आय का प्राथमिक स्रोत है. भारत में दो व्यापक स्तर के कर हैं – प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष. प्रत्यक्ष कर एक व्यक्ति द्वारा सीधे सरकार को दिया जाने वाला कर है. जबकि अप्रत्यक्ष कर का भुगतान लोगों द्वारा उस व्यक्ति/संस्था को किया जाता है जिस पर सरकार को कर का भुगतान करने का भार होता है.

  • GST– भारत में, देश में बेची जाने वाली अधिकांश वस्तुओं/सेवाओं पर GST या वस्तु एवं सेवा कर लगाया जाता है. यह अप्रत्यक्ष कर का एक रूप है, जहां उपभोक्ता कर का भुगतान करता है, लेकिन राशि व्यावसायिक प्रतिष्ठान द्वारा सरकार को प्रेषित की जाती है. GST सरकार की आय में इजाफा करता है.

  • सीमा शुल्क (Custom Duty) – जब आप भारत से सामान आयात या निर्यात करते हैं, तो सरकार लेनदेन राशि पर कर लगाती है. जबकि इस राशि के भुगतान का आर्थिक बोझ आयातक/निर्यातक पर पड़ता है, यह आमतौर पर उपभोक्ता पर भी डाला जाता है. यह भी भारत में अप्रत्यक्ष कर का एक रूप है.

  • राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) – राजकोषीय का अर्थ है सरकार के राजस्व से संबंधित. राजकोषीय घाटा, सरल शब्दों में, वह घाटा या कमी है जो सरकार को अपने व्यय के संबंध में गैर-उधार प्राप्तियों (आय) में हो रही है. यदि व्यय प्राप्तियों (गैर-उधार) से अधिक है, तो सरकार के कुल व्यय और कुल गैर-उधार प्राप्तियों के बीच का अंतर उसका राजकोषीय घाटा है. इसे आमतौर पर देश के सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में दर्शाया जाता है.

  • राजकोषीय नीति (Fiscal Policy)– जब कोई देश बजट की घोषणा करता है, तो उसका प्रभाव अर्थव्यवस्था पर पड़ता है. उदाहरण के लिए, यदि सरकार आयकर दर में परिवर्तन करती है, तो यह लोगों के हाथों में प्रयोज्य आय को प्रभावित करती है और उनकी क्रय शक्ति को प्रभावित करती है. यह, बाद में, व्यवसायों और सरकार की कर आय को प्रभावित करता है. इसलिए, सरकार अपने खर्च और कर नीतियों का इस तरह से उपयोग करती है जिससे वह देश के आर्थिक परिदृश्य को उपयुक्त रूप से प्रभावित किया जा सके. यह सरकार की फिस्कल पॉलिसी ( है. एक बजट आमतौर पर उसी का एक संकेतक होता है.

Related Articles

Back to top button
Live TV