Desk : उत्तर प्रदेश में बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई टली। सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 29 जून को होगी। याचिकाकर्ता की तरफ से वकील नित्या रामकृष्णन ने यूपी सरकार के हलफनामे पर जवाब दाखिल करने के लिए और समय देने की मांग की। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता को जवाब दाखिल करने के लिए समय दे दिया।
जमीयत उलेमा ए हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर उत्तर प्रदेश में हो रही बुलडोज़र कार्यवाही के खिलाफ रोक लगाने की मांग की है। लेकिन आज जमीयत के वकील ने सरकार के हलफनामे पर जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांगा। जिसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट में आज मामले की सुनवाई टल गई। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सी टी रवि कुमार और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ के सामने आज याचिका पर सुनवाई होनी थी।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में जमीयत उलेमा ए हिन्द की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि नियमों के मुताबिक करवाई की गई है। जमीयत उलेमा ए हिन्द ने जो आरोप यूपी सरकार पर लगाये है तो गलत और बेबुनियाद है। सुप्रीम कोर्ट ने जमीयत की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया था।
सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि इस मामले में कोई भी प्रभावित पक्ष कोर्ट में नही आया। हलफनामे में कहा कि राज्य सरकार की संपति को नुकसान पहुंचाने वाले दंगाइयों पर कानून के मुताबिक सरकार सिआरपिसी और आईपीसी के तहत करवाई कर रही है।यूपी सरकार ने कहा कि जमीयत उलेमा ए हिन्द की याचिका खारिज करने की मांग की है। उत्तर प्रदेश सरकार ने हलफनामे में कहा कि कानपुर में 11 जून को बुलडोजर कार्रवाई से काफी पहले ही नोटिस जारी किया गया था। पहला नोटिस अगस्त 2020 और दूसरा नोटिस फरवरी 2022 में जारी किया गया था।
उत्तर प्रदेश सरकार ने हलफनामे में कहा कि जमीयत नहीं है अवैध निर्माण हटाने के लिए की गई कानूनी कार्रवाई को गलत रंग देने की कोशिश की है जिन लोगों का घर गिराया गया है उनमें से किसी ने भी सुप्रीम कोर्ट का रोक नहीं किया है उत्तर प्रदेश सरकार ने हिंसा के बाद प्रयागराज में हुई कार्रवाई के ऊपर हलफनामा दाखिल कर कहा कि जो अवैध निर्माण हटाया गया है उसको लोकल डेवलपमेंट अथॉरिटी ने हटाया है यह अपने आप में स्वायत्त संस्था है सरकार के अधीन नहीं आती है।
शहर से अवैध गैरकानूनी निर्माण को हटाने के लिए कानून सम्मत कार्रवाई की गई है। उत्तर प्रदेश सरकार ने हलफनामे में JNU की पूर्व छात्रा आफरीन के पिता जावेद मोहम्मद के प्रयागराज के घर का हवाला देते हुए कहा कि यह घर प्रयागराज डेवलपमेंट अथॉरिटी के मुताबिक अवैध निर्माण था। घर को दंगों के बाद जरूर गिराया गया था लेकिन इसको लेकर कार्यवाही बहुत पहले ही शुरू हो गई थी।
दरअसल, जमीयत उलेमा ए हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि पैगम्बर मोहम्मद को लेकर नूपुर शर्मा के विवादित बयान के बाद यूपी के विभिन्न शहरों में प्रदर्शन हुए, इसको लेकर दोनो समुदाय में झड़प हुई लेकिन यूपी सरकार ने सिर्फ एक समुदाय विशेष को टारगेट कर कार्रवाई की। उन्हें दंगाई, गुंडा करार देकर उनके घरों को बुलडोजर से ढहाया गया, सिर्फ दंगों के कथित आरोपियों को ही नहीं, बल्कि उनके घरवालों के घरों को भी ढहा दिया गया।