
मुख्यमंत्री योगी का बयान:
उत्तर प्रदेश की विधानसभा में सदन की कार्यवाही में हिंदी के साथ-साथ अवधी, भोजपुरी और अन्य क्षेत्रीय बोलियों को भी शामिल किया गया है, जिस पर नेता प्रतिपक्ष माताप्रसाद पांडेय ने आपत्ति जताई। उन्होंने विशेष रूप से अंग्रेजी को कार्यवाही में शामिल करने पर विरोध जताया, और इस कदम को असंवैधानिक बताया।
सीएम योगी का समर्थन:
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उनकी सरकार में हिंदी की उपभाषाओं—ब्रज, भोजपुरी, अवधी, और बुंदेलखंडी को सम्मान मिल रहा है। उन्होंने बताया कि इस दिशा में सरकार ने विभिन्न अकादमियों का गठन किया है। योगी ने कहा, “हमारी सरकार इन भाषाओं को सम्मान देती है क्योंकि यह सभी हिंदी की उपभाषाएं हैं, यानी हिंदी की बेटियां हैं।”
समाजवादियों पर हमला:
मुख्यमंत्री ने समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि समाजवादी नेतृत्व अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में भेजते है, जबकि आम जनता के बच्चों को गांव के स्कूलों में पढ़ने की सलाह देता है। योगी ने कहा, “समाजवादियों का दोहरा चरित्र है—अपने बच्चों को अंग्रेजी में पढ़ाएंगे, जबकि दूसरों के बच्चों को ग्रामीण भाषा सिखाने को कहेंगे।”
अवधी, भोजपुरी और बुंदेलखंडी का समर्थन:
सीएम योगी ने कहा कि उनकी सरकार अवधी, भोजपुरी और बुंदेलखंडी जैसी बोलियों को सदन की कार्यवाही में शामिल करने के पक्ष में है और इसके लिए अकादमियों का गठन भी किया गया है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि भारत के प्रवासी, जो मॉरीशस और फिजी में रहते हैं, वे ज्यादातर अवधी बोलने वाले लोग हैं।
आपत्ति पर तीखा बयान:
मुख्यमंत्री ने समाजवादी पार्टी की आलोचना करते हुए कहा, “आप हर अच्छे काम का विरोध करते हैं, जबकि हमारी सरकार इन बोलियों को सदन की कार्यवाही में सम्मान देने के लिए काम कर रही है।” उन्होंने यह भी कहा कि समाजवादी नेता अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाते हैं, जबकि दूसरों को उर्दू पढ़ाने की सलाह देते हैं, जो कि उनके “कठमुल्ला” विचारों का प्रतीक है।
मुख्यमंत्री योगी ने यह स्पष्ट किया कि उनकी सरकार क्षेत्रीय बोलियों को सदन की कार्यवाही में शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध है और इसे बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कदम उठाए जा रहे हैं।