Uttar Pradesh: धरने के 9 दिन… एसपी को हटाने की मांग, अपनी ही सरकार के खिलाफ सत्ताधारी दल के विधायक दे रहे धरना

मोदी सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल ने अभी तक इस मुद्दे पर खामोश हैं. हालांकि अनुप्रिया पटेल हमेशा योगी सरकार की कार्यप्रणाली पर...

Uttar Pradesh: यूपी सरकार के अंदरखाने कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है. ये हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि बीजेपी के साथ गठबंधन कर सरकार में शामिल दलों के मंत्री से लेकर विधायक तक अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हैं.. एक तरफ जहां सुल्तानपुर में मंगेश यादव एनकाउंटर के मामले में पुलिस की किरकिरी हो रही थी वही अब दूसरी तरफ शोहरतगढ़ के विधायक विनय वर्मा ने पुलिस पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए अपनी ही सरकार के खिलाफ धरना दे दिया हैं। आज धरने पर बैठे हुए 9 दिन हो चुके हैं.. लेकिन ये धरना खत्म होने का नाम नहीं ले रहा हैं.. इस धरना को खत्म कराने के लिए बीजेपी का प्रदेश नेतृत्व बेचैन है. हालांकि, विधायक अपनी मांग को लेकर अड़े हुए हैं..

क्यों धरना दे रहे हैं विधायक?

दरअसल अपना दल (एस) के नेता और शोहरतगढ़ क्षेत्र के विधायक विनय वर्मा ने 10 सितंबर को सिद्धार्थनगर पुलिस अधीक्षक प्राची सिंह के खिलाफ कई आरोप लगाते हुए धरना शुरू कर दिया था. वह पुलिस पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए एसपी को हटाने की मांग कर रहे हैं. विधायक ने जिला प्रशासन और पुलिस पर सहयोग न करने का भी आरोप लगाया.. आज धरने के 9 दिन हो गए. लेकिन खास बात ये है की अपनी ही सरकार में आज नौ दिन बीतने के बाद भी विधायक के धरने को गंभीरता से किसी ने भी नहीं लिया.. यहां तक की जो पोस्टर धरने पर लेकर बैठे हैं. उसमें उन्होंने पीएम मोदी, सीएम योगी, अनुप्रिया पटेल, आशीष पटेल और जगदंबिका पाल की फोटो लगा रखी है. यही वजह हैं. कि सत्तारूढ़ दल के विधायक का धरना लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है..

अनुप्रिया ने साधी चुप्पी..

एक तरफ विधायक विनय वर्मा का धरना समाप्त कराने के लिए बीजेपी लगी हुई है तो दूसरी ओर उनके दल की नेता अनुप्रिया पटेल चुप्पी साधे हुए है. अपना दल (एस) की अध्यक्ष और मोदी सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल ने अभी तक इस मुद्दे पर खामोश हैं. हालांकि अनुप्रिया पटेल हमेशा योगी सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती रही हैं. चाहे वह विश्वविद्यालयों में नॉट फाउंड एलिजिबिल के नाम पर आरक्षित सीटों पर सामान्य वर्ग के लोगों से भरने को लेकर लेटर लिखने हो या 69 हजार शिक्षकों की भर्ती में ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर हो.. वो हमेशा ही बोलती रहती हैं.. पर इस बार उनकी ये खामोशी क्यों हैं.. ये अपने आप में एक बड़ा सवाल हैं..

Related Articles

Back to top button