बनारस बंद का अखिल भारतीय संत समिति ने किया विरोध, मुस्लिम पक्ष के ऐलान को बताया न्यायालय का अपमान !

मुस्लिम पक्ष के द्वारा बंद के ऐलान को लेकर वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट अलर्ट पर है, तो वही अखिल भारतीय संत समिति ने मुस्लिम पक्ष के बनारस बंद के आवाह्न का विरोध किया है।

वाराणसी- ज्ञानवापी के तहखाने में जिला आदालत के आदेश के बड़ा शुरू हुए पूजन को लेकर मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने बंद का आवाह्न किया है। मुस्लिम पक्ष के द्वारा बंद के ऐलान को लेकर वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट अलर्ट पर है, तो वही अखिल भारतीय संत समिति ने मुस्लिम पक्ष के बनारस बंद के आवाह्न का विरोध किया है। अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने मुस्लिम पक्ष के द्वारा ज्ञानवापी जिसका नाम अब काशी विद्वत परिषद ने तल गृह नाम दिया गया है, उसमे पूजन को लेकर ऐतराज जताए जाने को न्यायालय का अपमान बताया है।

अखिल भारतीय संघ समिति ने बनारस बंद को सीधे तौर पर न्याय व्यवस्था और अदालतों को चुनौती देने वाला बताया। स्वामी जितेंद्रान्द सरस्वती ने कहा कि मुस्लिम नेताओं पर जिन्होंने बनारस बंद का आवाह्न किया और जिन्होंने समर्थन दिया है, उन पर कोर्ट ऑफ कंटेंट का मुकदमा दर्ज होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारा देश संविधान से चलेगा , सरिया कानून से नही।

यदि संत समाज पूछे कि 1993 में किसके आदेश पर ज्ञानवापी के तहखाने ( ताल गृह) में पूजन बंद करवाया गया था, तो उनके पास कोई जवाब नही होगा।

इसका विरोध हिंदू पक्ष ने नही किया बल्कि कोर्ट में जाकर अपनी याचिका को दिया।मुस्लिम पक्ष कोर्ट में भी कोई साक्ष्य नहीं दे पाया और जब फैसला आ गया तो यह धमकी देने पर उतर आए। यह सरकार का का है, कि एसी से कैसे सख्ती से निपटा जाए।हिंदू समाज सैंवधानिक दायरे में रहकर अपने खोए हुए सम्मान की पुनर्वापसी करेंगे।

रिपोर्ट : नीरज कुमार जायसवाल

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