आशुतोष राणा- अद्भुत अभिनय से किरदारों को जीवंत बना देने वाले एक शख्सियत का नाम…

आशुतोष राणा की काव्य शैली अनोखी है. बॉलीवुड में हिंदी साहित्य का प्रतिनिधित्व करने वाले वो एक बेहद शानदार शख्सियत हैं. आशुतोष राणा जितने सफल व्यक्तित्व हैं उतना ही मुश्किल और चुनौतियों भरी उनकी शुरुआत भी रही रही है. अभिनय की दुनिया के बेताज बादशाह आशुतोष राणा संघर्षों के रास्ते पर चलकर अब तक की अपनी यात्रा तय की है.

परदे पर अपने अद्भुत अभिनय से किरदारों में जान फूंक देने वाले भारतीय फिल्म जगत के लोकप्रिय अभिनेता, निर्माता, लेखक और टीवी प्रस्तोता आशुतोष राणा शुक्रवार को भारत समाचार के कार्यालय पहुंचे. उन्होंने भारत समाचार के एडिटर इन चीफ ब्रजेश मिश्रा से मुलाकात की और न्यूजरूम समेत कार्यालय के अलग-अलग विभागों का अवलोकन किया.

आशुतोष राणा की काव्य शैली अनोखी है. बॉलीवुड में हिंदी साहित्य का प्रतिनिधित्व करने वाले वो एक बेहद शानदार शख्सियत हैं. आशुतोष राणा जितने सफल व्यक्तित्व हैं उतना ही मुश्किल और चुनौतियों भरी उनकी शुरुआत भी रही रही है. अभिनय की दुनिया के बेताज बादशाह आशुतोष राणा संघर्षों के रास्ते पर चलकर अब तक की अपनी यात्रा तय की है.

संघर्षों के रास्ते सफलता की पगडंडी माप देने वाले आशुतोष राणा का जितना जुड़ाव हिंदी साहित्य से है, उतना ही वो दर्शन के भी बहुत बड़े ज्ञाता हैं. अध्यात्म से लेकर साहित्य और दर्शन से लेकर भारतीय चिंतन के पुरोधा आशुतोष राणा लोगों के दिलों पर राज करते हैं. अभिनय की दुनिया में उनके द्वारा निभाए गए किरदार, एक चरित्र मात्र ना होकर लोगों के मानस पटल पर वो अमिट छाप हैं जो सदियों तक याद किए जाते रहेंगे.

आशुतोष राणा एक ऐसे अभिनेता हैं, जब परदे पर आते हैं तो उनके डायलॉग और अभिनय किरदार में समा जाते हैं. साहित्य से लेकर आध्यात्म तक उनकी समझ दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत है. नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से पास आउट आशुतोष राणा ने कई हिंदी, मराठी, कन्नड़ और तेलुगु फिल्मों में काम किया और एक से बढ़कर एक यादगार किरदार दिए.

फिल्मों से इतर उन्होंने कई धारावाहिकों में भी काम किया है. काली- एक अग्निपरीक्षा से लेकर स्वाभिमान, आहट, सैटरडे सस्पेंस जैसे सीरियल्स मनोरंजन की दुनिया के हीरे हैं. इन सीरियल्स में आशुतोष राणा के किरदार अभिनय की चरम अवस्था को दर्शाते हैं. वहीं, आशुतोष जितने शानदार अभिनेता हैं, उतने बेहतरीन लेखक भी है. साल 2020 में उन्होंने ‘रामराज्य’ और ‘मौन-मुस्कान की मार’ नामक दो किताबें लिखीं जिसे पाठकों का भरपूर स्नेह मिला.

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