चूहों को पकड़ने के लिए 69 लाख रुपये खर्च का मामला, अब डिवीजन एनआर ने दिया स्पष्टीकरण

सीनियर डीसीएम की ओर से कहा गया कि इसमें कई गतिविधियां शामिल हैं. तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है.

लखनऊ- लखनऊ में उत्तर रेलवे द्वारा चूहों को पकड़ने ने मामले ने काफी ज्यादा तूल पकड़ा.उत्तर रेलवे में हुई इस तरीके की घटना के बाद से तरह-तरह के सवाल उठने लगे. अब इस मामले में लखनऊ डिवीजन एनआर ने स्पष्टीकरण दिया है.सीनियर डीसीएम रेखा शर्मा ने मामले में सफाई दी है. चूहों को पकड़ने के लिए 69 लाख रुपये खर्च का मामला है.

सीनियर डीसीएम की ओर से कहा गया कि इसमें कई गतिविधियां शामिल हैं. तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है.
एक चूहे को पकड़ने में 41,000 खर्च बताना गलत है. ये भारतीय रेलवे की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए पेश किया है.

पूरे मामले को लेकर कुछ इस तरह से कहा जा रहा है कि उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल ने एक चूहे को पकड़ने में 41 हजार रुपये खर्च कर डाले. बता दें कि लखनऊ मंडल रेलवे ने चूहों को पकड़ने के लिए 69 लाख रुपये खर्च किए हैं. यह जानकर आप और हैरान हो जाएंगे कि 69 लाख की बड़ी रकम खर्च करके रेलवे ने महज 168 चूहों को ही पकड़ा. आरटीई में हुए खुलासे के मुताबित यह रकम पिछले तीन सालों में खर्च की गई. यानी प्रति वर्ष उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल ने चूहों को पकड़ने पर 23.2 लाख रुपये खर्च किए. जिसको लेकर तमाम चर्चाएं हो रही.

अब इसी पर मामले में लखनऊ डिवीजन एनआर ने स्पष्टीकरण दिया है.

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