Candrayan-3 Landing : चांद पर सफल लैंडिंग के बाद चंद्रयान के सभी सिस्टम योजना के अनुरुप कार्य कर रहें हैं। रोवर प्रज्ञान लैंडर विक्रम से निकल कर चांद पर चहलकदमी करना शुरू कर दिया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) नें बताया कि इसके चार उपकरणों में से तीन इल्सा, रंभा और चास्टे कार्य करना शुरू कर दिया है। इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया कि लांचिंग के बाद से चंद्रयान-3 योजना के अनुरूप कार्य कर रहा है। लैंडर और रोवर 14 दिन चांद का एक दिन) तक कार्य करेंगा। हालांकि लैंडिंग के बाद से इसरो की ओर से चांद की कोई नई तस्वीर नहीं आयी है.
धूल से हो सकती समस्या
इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया कि अधिक मात्रा में उड़ रहे धूलकड़ों से लैंडर और रोवर दोनों में तकनीकी दिक्कत आ सकती है। क्योंकि चांद पर वायुमंडल नहीं होता है। ऐसे में अधिक धूलकण मशीनों में जाकर उसे जामकर कर सकते हैं। हांलांकि अभी तक ऐसी कोई समस्या नहीं आयी है.
चंद्रयान-3 क्यों है खास
चंद्रयान-2 के विफल होने के बाद भारत द्वारा चंद्रयान-3 भेजा गया। इस मिशन पर पूरी दुनिया की निगाहें थी। क्यों कि पिछले तीन वर्षों में कई देशों के निजी कंपनियों द्वारा भेजे गए मिशन असफल रहे थे। हाल ही में लूनार-25 भी क्रैश हो गया था। ऐसे में लैंडर के उतरने से पहले सभी की सभी की सांसे रुकी हुई थी। हर तरफ पूजा पाठ किया जा रहा था। मंदिरों, मस्जिदों और गुरुद्वारों में दुवाएं मागी जा रहीं थी। यह लैंडर इस लिए भी खास है क्योंकि रोवर के पहिए में इसरो और अशोक स्थम्भ का प्रतीक बना है। रोवर चांद पर चलते हुए इसरो और अशोक स्तंभ का छाप छोड़ता जाएगा.
चंद्रयान ने रचा इतिहास
चांद पर गौरवपूर्ण लैंडिंग के साथ ही भारत ने इतिहास रच दिया है। इससे पहले चांद के दक्षिणी ध्रुव पर किसी देश ने अपना उपग्रह नहीं उतारा है। दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर उतारने वाला भारत पहला देश है। इसरों नें चंद्रयान-3 के लैंडिंग का लाइव प्रसारण किया था। इस लाइव प्रसारण को एक साथ 80 लाख से अधिक लोगों नें देखा। इससे पहले इतनी अधिक संख्या में लाइव प्रसारण नहीं देखा गया था.
चांद पर लैंडर और रोवर का प्रमुख कार्य
चांद पर उतरने के बाद अब लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) अपना काम करना शुरू कर दिए हैं। लैंडर और रोवर द्वारा चांद पर वातावरण, वहां कि मिट्टी और पानी की उपलब्धता का निरिक्षण किया जाएगा। उनसमें लगाएग गए उपकरणों द्वारा चांद पर कंपन, वहां पर तापमा और चौथे धातु की खोज की जाएगी.