सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में दिल्ली के छावला इलाके में 19 वर्षीय एक महिला के साथ बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद दिल्ली की एक अदालत द्वारा मौत की सजा पाए तीन दोषियों को सोमवार को बरी कर दिया।
गौरतलब हैं कि उत्तराखंड की रहने वाली रेप पीड़िता का क्षत-विक्षत शरीर एक खेत में मिला था। जिसमें कार के औजारों से लेकर मिट्टी के बर्तनों तक की वस्तुओं से हमले के कारण कई चोटें आई थीं। उस मामले में देश की शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट और एक निचली अदालत के फैसले को रद्द करने हुए आरोपियों को छोड़ दिया हैं।
फरवरी 2014 में दिल्ली की एक निचली अदालत ने 2012 में 19 वर्षीय एक महिला के साथ बलात्कार और हत्या करने के लिए तीन लोगों को दोषी ठहराया और उन्हें मौत की सजा सुनाई। 26 अगस्त, 2014 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने मौत की सजा की पुष्टि करते हुए कहा कि वे “शिकारी” थे जो सड़कों पर घूम रहे थे और “शिकार की तलाश में थे”। जिसके बाद तीन लोगों, रवि कुमार, राहुल और विनोद को अपहरण, बलात्कार और हत्या के विभिन्न आरोपों के तहत दोषी ठहराया गया था।
मामला फरवरी 2012 का है, जब हरियाणा में 19 साल की एक लड़की का शव मिला था। दुष्कर्म के बाद बच्ची की बेरहमी से हत्या कर दी गई। इसे लेकर बाहरी दिल्ली के छावला थाने में मामला दर्ज किया गया था।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, अपराध प्रकृति में क्रूर था क्योंकि उन्होंने पहले महिला का अपहरण किया, उसके साथ बलात्कार किया, उसकी हत्या की और उसके शव को हरियाणा के रेवाड़ी जिले के रोधई गांव में एक खेत में फेंक दिया।