बिहार में अभी नहीं होगी जातिगत जनगणना, सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट की अंतरिम रोक को रखा बरकरार…

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "आक्षेपित आदेश एक अंतरिम आदेश है और अदालत ने 3 जुलाई को सुनवाई के लिए मुख्य रिट पोस्ट की है. वास्तव में, राज्य सरकार ने 9 मई को अदालत के समक्ष आवेदन दायर किए थे जिनका निस्तारण किया गया था..."

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बिहार सरकार द्वारा की जा रही जाति जनगणना पर पटना उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक को हटाने से इनकार कर दिया. जस्टिस अभय एस ओका और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की खंडपीठ ने जाति जनगणना के मुद्दे पर बिहार सरकार को राहत देने से इंकार कर दिया. शीर्ष अदालत की खंडपीठ ने पटना उच्च न्यायालय द्वारा लगाए गए स्टे आर्डर को बरकरार रखा.

खंडपीठ ने गौर किया कि जातिगत जनगणना मामले की अंतिम सुनवाई के लिए पटना हाईकोर्ट ने 3 जुलाई की तारीख दी है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “आक्षेपित आदेश एक अंतरिम आदेश है और अदालत ने 3 जुलाई को सुनवाई के लिए मुख्य रिट पोस्ट की है. वास्तव में, राज्य सरकार ने 9 मई को अदालत के समक्ष आवेदन दायर किए थे जिनका निस्तारण किया गया था. महाधिवक्ता की दलील को विशेष रूप से खारिज कर दिया गया था कि अंतिम राय व्यक्त की गई थी। वास्तव में, उच्च न्यायालय ने देखा है कि सुनवाई के लिए अदालत अन्य विवादों के लिए खुली थी.”

हालांकि, उच्च न्यायालय के समक्ष सुनवाई 3 जुलाई को शुरू नहीं होने पर मामले को 14 जुलाई को सूचीबद्ध करने पर सहमति हुई. सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा “याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि याचिका को 3 जुलाई के एक सप्ताह बाद सूचीबद्ध किया जा सकता है. वह दर्शाता है कि यदि उच्च न्यायालय अंतिम सुनवाई नहीं करता है, तो यह अदालत मामले के गुण-दोष पर विचार कर सकती है.”

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि “अगर किसी कारण से उच्च न्यायालय के समक्ष मामले की सुनवाई शुरू नहीं होती है तो इस याचिका को 14 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए.” पटना उच्च न्यायालय ने 4 मई को राज्य द्वारा की जाने वाली जातिगत जनगणना पर 3 जुलाई तक रोक लगा दी थी. जिसके बाद हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 3 जुलाई की तारीख दी थी. बावजूद इसके इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाया गया था.

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