
उत्तराखंड को बने हुए 22 साल का वक्त बीत गया है लेकिन स्थिति आज भी जस की तस है। पहाड़ों में सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है जहाँ न सड़क है और न ही स्वास्थ्य सेवाएँ हैं। सरकारें किसी की भी रही हो लेकिन कोई भी देहरादून से पहाड़ उतरने की नहीं सोचता और न ही पहाड़ों में सुविधाए देने में सक्षम रहा है।
पहाड़ों पर बसे दशोली विकास खड़ के पाणा इराणी गांव की भरत सिंह की पत्नी नंदी देवी की अचानक प्रशव पीड़ा शुरू हो गई गाँव में स्वास्थ्य सेवाएँ न होने के कारण तीन दर्जन से अधिक ग्रमीणों द्वारा गर्भवती महिला को डंडी में बैठाकर कंधों के सहारे 10 किलोमीटर पैदल पगडंडियों के रास्ते द्वारा इलाज के लिए जिला चिकित्सालय गोपेश्वर लाया जा रहा था।
गाँव से 4 किलोमीटर पैदल चलकर गर्भवती महिला नंदी देवी की प्रशव पीड़ा अधिक होने लग गई जहां पर महिला ने कुछ देर बाद नवजात शिशु को जन्म दे दिया ग़नीमत रही की इस दौरान महिला की अधिक तबीयत ख़राब नहीं हुई अब जच्चा बचा दोनो स्वस्थ हैं। यह गांव आजादी के 75 साल बाद भी सड़क स्वास्थ्य सेवाओं तथा दूरसंचार सेवाओं से वंचित है। पाणा गांव यह मामला पहला नहीं है इससे पहले भी चमोली के कई दूरस्त क्षेत्रों से कई लोग कन्धों के सहारे ग्रामीणों ने हॉस्पिटल तक पहुचाया है।