जौनपुर में खेला; BSP ने बाहुबली की पत्नी को बनाया उम्मीदवार, क्या विपक्ष संभाल पाएगा ये वार…

आज Mayawati ने सबको चौंकाते हुए जेल में बंद बाहुबली Dhananjay Singh की पत्नी श्रीकला सिंह को टिकट थमा दिया।

जंगल का राजा भले ही शेर हो मगर जब उसका सामना हाथी से होता है तब उसके पैर डगमगा ही जाते हैं। ये कहावत यूपी के राजनैतिक परिदृश्यों में होते बदलाव पर एक दम सटीक बैठता है। आप सोच रहे होंगे की राजनीति में ये शेर और हाथी कहाँ से आ गया ? तो परेशान मत होइए इस शेर और हाथी का मुद्द्दा राजनीती से ही जुड़ा है। कैसे चलिए आपको भी बताए देते हैं।

उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव में होने वाले मतदान से पहले यहां के सियासत में हलचल तेज होती जा रही है। चुनाव से पहले बढ़ती इस हलचल के पीछे है यूपी के हॉट सीटों में से एक जौनपुर लोकसभा सीट। जहां पर अब त्रिकोणीय चुनाव का माहौल बन गया है।

दरअसल, BSP चीफ मायावती ने यहां से अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान करके यहां की सियासत में लगी आग में घी डालने का काम किया है। आज बसपा ने सबको चौंकाते हुए जेल में बंद बाहुबली धनञ्जय सिंह की पत्नी श्रीकला सिंह को टिकट थमा दिया। जिसके बाद यहां की सियासत ने जबरदस्त मोड ले लिया है। अब जहां एक तरफ बीजेपी ने यहां से कृपा शंकर सिंह को मैदान में उतारा है तो वहीं दूसरी तरफ सपा के तरफ से बाबू सिंह कुशवाहा के नाम पर पहले ही सियासत गर्म थी। मगर अब BSP ने बड़ा खेला करते हुए धनंजय सिंह के सहारे चुनाव में जीत के लिए उनकी पत्नी के नाम पर मुहर लगा कर माहौल और गर्म कर दिया है। BSP के इस फैसले के बाद से अब उत्तर प्रदेश के सियासत में क्या फर्क पड़ेगा और क्या धनंजय के रसूख के सामने BJP का उम्मीदवार टिक पाएगा…?  

इसके लिए सबसे पहले आपको यहां का सियासी समीकरण समझना पड़ेगा

जौनपुर लोकसभा क्षेत्र के सियासी समीकरण को देखें तो क्षत्रिय, यादव, मुस्लिम, ब्राह्मण और दलित समुदाय के वोटर निर्णायक हैं। क्षत्रियों और यादवों का दबदबा रहा है। इस लोकसभा सीट पर यादव और ठाकुर बराबर संख्या में है। 2019 में सपा-बसपा गठबंधन के तहत श्याम सिंह यादव ने जीत दर्ज की थी, क्योंकि दलित, मुस्लिम और यादव मतदाता एकजुट थे।

दूसरी तरफ बीजेपी की नजर क्षत्रिय और ब्राह्मण वोटों पर रहती है। ऐसे में अगर धनंजय की पत्नी श्रीकला या उनका कोई भी करीबी चुनावी मैदान में उतरता है तो क्षत्रिय वोटों में सेंधमारी का खतरा बढ़ जाएगा, जो बीजेपी के लिए चिंता का सबब बन सकती है। वहीं अब बसपा के तरफ से श्रीकला के मैदान में आने से यादव-मुस्लिम और ठाकुर वोटों के समीकरण का सपना संजोए बीजेपी के लिए टेंशन बढ़ सकती है।

अब अगर बात करें बाहुबली धनंजय सिंह के इस सीट पर दबदबे को लेकर तो एक बात साफ़ है, जौनपुर की सियासत में धनंजय की अपनी एक अलग ही पहचान रही है, इसी जगह के दम पर वो कई बार विधायक और सांसद बनते रहे हैं। यहां से खासकर ठाकुर समुदाय के बीच उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है। ऐसे में जौनपुर सीट को उनके कब्जे से छुड़ा कर अपने कब्जे में करने के लिए बीजेपी ने कृपा शंकर सिंह को प्रत्याशी बनाया है, जो अभी तक मुंबई की सियासत में ही एक्टिव नजर आए हैं। मगर इस बार वो अपने गृह जनपद से किस्मत आजमाएंगे। अब सियासी जानकारों का मानना है कि BSP के इस फैसले के बाद जौनपुर के सियासी खेल में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। 

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