कुमार विश्वास – काव्य रचना से सफलता का शीर्ष छुने वाले कालजयी कवि की संघर्ष यात्रा का एक नाम…

युवाओं के बीच कुमार विश्वास का क्रेज, कुमार विश्वास की कविताएं, कुमार विश्वास का अनोखा अंदाज आज भी सामजिक दृष्टिकोण से उतना ही परिपक्व लगता है जैसा शुरुआत में लगता था. कुमार विश्वास नाम है उस कवि का, जिसने आधुनिक दौर में सोई हुई हिंदी को जगा दिया, जिसने मोहब्बत को नए सिरे से परिभाषित किया. जिसने लोगों को ये बताया कि हिंदी को रातभर बैठकर सुना जा सकता है.

2004 में उजला कुर्ता और दुबला पतला शरीर लिए एक शख्स जब ये पढ़ता है कि “कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है,मगर धरती की बेचैनी तो बस बादल समझाता है…” तो तालियों की गड़गड़ाहट में उस शख्स की आवाज कहीं दब सी जाती है. लेकिन जब वही शख्स कहता है कि “It is better to become a good poet than a bad engineer” तब दर्शक दीर्घा में बैठे लोगों को ये मालूम चलता है कि उस शख्स ने कितना कुछ सहा होगा.

वही दुबला-पतला सख्स 2004 से पहले जब साल 1989 में अपने पहले कवि सम्मलेन में कविता पाठ करना शुरू करता है तो लोगों को पता चल जाता है कि होनहार-वीरवान के होते चिकने पात. एक तब का दौर था और एक आज का दौर है जब कुमार विश्वास की कविताओं का कोई सानी नहीं है. कुमार की कविताओं का युवाओं के बीच इतना क्रेज है कि गाहे-बगाहे हर युवा के होठों पर कभी ना कभी ये कविताएं अनायास ही आ जाती हैं.

युवाओं के बीच कुमार विश्वास का क्रेज, कुमार विश्वास की कविताएं, कुमार विश्वास का अनोखा अंदाज आज भी सामजिक दृष्टिकोण से उतना ही परिपक्व लगता है जैसा शुरुआत में लगता था. कुमार विश्वास नाम है उस कवि का, जिसने आधुनिक दौर में सोई हुई हिंदी को जगा दिया, जिसने मोहब्बत को नए सिरे से परिभाषित किया. जिसने लोगों को ये बताया कि हिंदी को रातभर बैठकर सुना जा सकता है.

कुमार विश्वास वर्तमान में युवाओं के सर्वप्रिय कवि हैं. इसके अलावा उनके राजनैतिक लगाव से भी लोग भलीभांति परिचित होंगे. भारतीय राजनीति में तमाम मुद्दों पर कवि कुमार विश्वास अपनी राय बड़े ही बेबाकी और शालीनता के साथ रखते हैं. कुमार विश्वास ने जब अपनी जिजीविषा को चुना तो वो एक जन लोक्रपिय कवि बन गए और जब उन्होंने समाज में आम आदमी की दुर्दशा, तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार देखा तो उन्होंने कुछ समय तक खुद को एक राजनेता के रूप में परिणित किया.

राजनीति में अपनी सेवा देने के लिए उन्होंने साल 2011 में करप्शन के खिलाफ अन्ना हजारे जन-आंदोलन में दिल्ली के मौजूदा मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के साथ एक बड़ा चेहरा बने और आम-आदमी पार्टी के साथ जुड़े थे. हालांकि जल्द ही अरविंद केजरीवाल और कुमार विश्वास की राहें अलग होती दिखीं.

समय के साथ-साथ कुमार विश्वास की लोकप्रियता जैसे-जैसे बढ़ती गई. विवादों का सिलसिला भी उसी के सामांतर चला. अपने बेबाक रवैये के चलते डॉ कुमार विश्वास अक्सर विवादों में पड़ जाते हैं. अभी हाल ही में पंजाब विधानसभा चुनावों से ठीक पहले 16 फरवरी 2022 को, विश्वास ने दावा किया कि आप सुप्रीमो केजरीवाल ने एक बार उनसे कहा था कि अगर वह चुनाव हार जाते हैं, तो भी वे अलगाववादियों की मदद लेकर एक स्वतंत्र खालिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बनेंगे.

इसके बाद बड़ा बवाल खड़ा हुआ और केजरीवाल ने कुमार विश्वास के इन दावों को राजनीति से प्रेरित और “बड़ा मजाक” करार दिया था. वर्तमान में कुमार विश्वास राजनीति में तो हैं लेकिन वो ऐसे राजनीति में नहीं हैं जो वक्त के साथ बदलता रहता है. शायद यही कारण था कि अन्ना आंदोलन के बाद वो एक बार फिर अपने काव्य पाठ की ओर बढ़ चले और लोगों का प्यार बटोरा.

बहरहाल, कुमार विश्वास की रचनाएं और उनकी अनूठी काव्य रचना की प्रतिभा के सभी लोग कायल हैं. संघर्ष से शिखर तक पहुंचे कुमार विश्वास की सरलता और हिंदी का व्यापक भाषायी ज्ञान ही है जो अक्सर बेहतरीन काव्य कृति के रूप में प्रस्फुटित होता है और लोगों के दिल जीत लेता है और शायद यही वजह है कि कुमार में सब कविता देखते हैं और कविता में सब कुमार को देखते हैं.

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