
पीलीभीत: पूरनपुर तहसील परिसर में उस समय हड़कंप मच गया जब वकीलों ने खुलेआम एक लेखपाल पर हमला कर दिया। आरोप है कि लेखपाल सतीश राना ने विरासत दर्ज करने के नाम पर ₹5000 की रिश्वत मांगी थी। इस पर नाराज वकीलों ने कानून को ताक पर रखते हुए सरेआम थप्पड़ों की बरसात कर दी। यह घटना अधिकारियों की मौजूदगी में घटी, घटना का वीडियो वायरल हो चुका है, जिससे तहसील दिवस में अधिकारियों की मौजूदगी में हुए इस बवाल पर सवाल उठ रहे हैं।
तहसील परिसर बना अखाड़ा, वकीलों ने खुद ही कर दी सजा
पूरनपुर तहसील में वकीलों ने कानून का पालन करने की बजाय खुद ही न्याय करने का फैसला ले लिया और लेखपाल को घेरकर थप्पड़ों से पीट दिया। सवाल यह उठता है कि अगर किसी पर रिश्वत का आरोप है, तो क्या उसे मारपीट कर सजा दी जाएगी? ऐसे में आम जनता को न्याय दिलाने वाले वकील खुद ही कानून तोड़ने पर उतर आए हैं।
लेखपाल भी संदेह के घेरे में, रिश्वतखोरी के आरोप गंभीर
इस घटना में लेखपाल सतीश राना पर भी गंभीर आरोप लगे हैं। सरकारी सेवाओं के लिए रिश्वत मांगना गैरकानूनी है, लेकिन क्या इस आरोप की जांच किए बिना ही सजा देना सही था? यह सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि अक्सर रिश्वतखोरी की शिकायतें सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ आती हैं, लेकिन क्या कानून हाथ में लेना वकीलों का काम है?
तहसील दिवस में अफसरों की सुनवाई के दौरान पिटाई
सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस पूरी घटना के दौरान पुलिस और तहसील प्रशासन क्या कर रहा था? अफसरों के सामने मारपीट हुई, लेकिन कोई भी हस्तक्षेप करने नहीं आया। क्या वकीलों के खिलाफ कार्रवाई होगी? और अगर लेखपाल दोषी है, तो क्या उस पर भी कड़ी कार्रवाई होगी?
क्या ऐसे चलेगा जंगलराज?
अगर तहसील परिसर में ही खुलेआम कानून हाथ में लिया जाएगा, तो फिर न्याय व्यवस्था का क्या होगा? वकीलों और सरकारी कर्मचारियों के ऐसे रवैये से आम जनता में भी भय का माहौल बन सकता है।