
उत्तर प्रदेश के तीन जिलों में पुलिस कमिश्नरी व्यवस्था लागू होने के बाद प्रदेश सरकार ने सोमवार आधी रात बड़ा फैसला लिया. एक साथ 16 आईपीएस अफसरों के तबादलों से पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया. सोमवार आधी रात हुए तबादलों में कुछ आईपीएस अफसरों के लिए प्रोत्साहन के तौर पर देखा जा रहा है. तो वहीं कुछ आईपीएस अफसर ऐसे हैं जिनके लिए ये तबादले किसी सजा से कम नहीं हैं.
सोमवार आधी रात हुए तबादलों में उत्तर प्रदेश पुलिस का सबसे बड़ा विकेट गिरा. उत्तर प्रदेश सरकार के सबसे लाडले आईपीएस अफसर, पुलिस आयुक्त नोएडा आलोक सिंह को डीजीपी मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया. आलोक सिंह के हटने से पूरा कैडर हैरान है. अपराध से लेकर सिंडिकेट तक में आलोक सिंह की हुकूमत थी. शासन ने उनकी हजार गलतियों पर परदा डाला था. ऐसे में उनकों अचानक नोएडा से बेदखल करना एक बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है.
इसी कड़ी में सीपी वाराणसी सतीश गणेश को भी हटाया गया है. बनारस में अभी हाल ही में हुए डबल एनकाउंटर मामले से भी सतीश की कुर्सी नहीं बचा पायी. उत्तर प्रदेश की पुलिस अफसरशाही में राहुल द्रविड़ की तरह खेल रहे सतीश क्लीन बोल्ड हो गए. इसी क्रम में आईपीएस अलोक सिंह और सतीश गणेश को लखनऊ में आमद कराने को कहा गया है.
वहीं सबसे हैरान कर देने वाली बात ये है कि मुंबई से दागदार कैरियर लेकर लौटे आईपीएस आशोक मुथा जैन की तैनाती वाराणसी सीपी के तौर पर की गई है. जबकि जैन के कार्यकाल में ही मुंबई में विवादित ड्रग्स मामले खुले थे. जैन उस पूरी एक्सटॉर्शन टीम के हेड हुआ करते थे. जैन का पूरा कैरियर ही गंभीर विवादों से जुड़ा रहा है.
रिया चक्रवर्ती से लेकर शहरुख के बेटे तक के कांड में कहीं ना कहीं अशोक मुथा जैन एक अहम किरदार रहे हैं. उनकी तैनाती जब यूपी में हुई उस दौरान उन पर अश्लील तस्वीरें भेजने के भी आरोप लगे. इसके लिए उन्होंने सार्वजनिक माफी भी मांगी थी. ऐसे में यह बहुत विचारणीय है कि ऐसे दागदार अफसर का तबादला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र के आयुक्त के तौर पर किस आधार पर किया गया.