राजीव गांधी हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने दिया सभी 6 दोषियों को रिहा करने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड मामले के सभी 6 दोषियों को रिहा करने का आदेश दे दिया है। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल ने कदम नहीं उठाया तो हम उठा रहे हैं

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड मामले के सभी 6 दोषियों को रिहा करने का आदेश दे दिया है। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल ने कदम नहीं उठाया तो हम उठा रहे हैं और मामले के दोषियों नलिनी श्रीहर, रॉबर्ट पेस, रविचंद्रन, राजा, श्रीहरन और जयकुमार को रिहा करने का आदेश दिया।

राजीव गांधी की हत्या कांड में अपीलकर्ताओं सहित 25 व्यक्तियों को 1998 में टाडा कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी। जब मामला सुप्रीम कोर्ट में गया, तो जस्टिस के.टी. थॉमस ने 19 दोषियों को बरी कर दिया, लेकिन उनमें से चार (पेरिवलन, श्रीहरन, संथान और नलिनी) की मौत की सजा को बरकरार रखा। तीन अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। नलिनी की मौत की सजा को तमिलनाडु सरकार ने 2000 में आजीवन कारावास में बदल दिया था।

2014 में सुप्रीम कोर्ट ने पेरारीवलन, श्रीहरन और संथान की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। 2018 में अन्नाद्रमुक मंत्रिमंडल ने सात दोषियों की रिहाई की सिफारिश की लेकिन राज्यपाल ने इस छूट को अधिकृत करने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा पेरारीवलन की रिहाई के आदेश के बाद नलिन और रविचंद्रन ने समय से पहले रिहाई की मांग करते हुए मद्रास उच्च न्यायालय का रुख किया। हालाँकि मद्रास उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसमें अनुच्छेद 142 के तहत सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्राप्त विशेष शक्तियों का अभाव है।

अब सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड मामले के सभी 6 दोषियों को रिहा करने का आदेश दे दिया है। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल ने कदम नहीं उठाया तो हम उठा रहे हैं और मामले के दोषियों नलिनी श्रीहर, रॉबर्ट पेस, रविचंद्रन, राजा, श्रीहरन और जयकुमार को रिहा करने का आदेश दिया। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने 17 मई को पारित निर्देश के बाद आदेश पारित किया, जिसमें मामले के एक अन्य दोषी पेरारिवलन को राहत दी गई थी। पीठ ने कहा कि पेरारीवलन का आदेश वर्तमान आवेदकों पर लागू होता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तमिलनाडु सरकार ने सभी दोषियों को रिहा करने की सिफारिश की है, जिस पर राज्यपाल ने कार्रवाई नहीं की है।

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